Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati
View full book text
________________
[ ५१ ] माझ्याओ गंडियाो प्राविति, परणविजंति सेत्तं गंडियाणुप्रोगे, से तं अणुश्रोगे ४ । से किं तं चुलियारो ? पाइल्लाणं चउराहं पुव्वाणं, चूलिया, सेसाइं पुब्वाइं अचुलियाई, से त्तं चूलियाो । दिट्ठिवायस्स णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुप्रोगदारा, संखेजा वेढा,संखेजा सिलोगा संखेजाओ पडिवत्तीप्रोसंखिज्जाओं निज्जुत्तीरो,संखेजाओसंग हणीरो से णं अंगठ्ठयाएबारसमे अंगे, एगेसुयक्खंधे, चोद्दस पुवाई, संखेजा वत्थू, संखेजा चूलवत्थू, संखेजा पाहुडा, संखेजापहुडपाहुडा, संखेज्जाओ पाहुडियाओ, संखेजात्रो पाहुडपाहुडियाओ, संखेज्जाइं पयसदस्साइं पयग्गंणं, संखेजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जंति, परणविजंति, परूविज्जति दंसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति । से एवं प्राया, एवं नाया एवं विएणाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जति, से त्तं दिट्ठिवाए १२ ॥सू॥ ५६ ॥ इच्चे इयंमि दुवालसंगे गणिपिडगे अणंताभावा अणंता अभावा, अणंता हेऊ.अणंता अहेऊ, अणंता कारणा, अणंता अकारणा, अणंता जीवा अणंतता

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60