Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati
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[ ३४ ] . भगवनो अरहो उसहसामिस्स आइतित्थयरस्त, तहा संखिज्जाइं पइन्नगसहस्साइं मज्झिमगाणं जिणवराणं, चोद्दस पइन्नगसहस्साई भगवत्रो वद्धमाणसामिस्स, अवहा जस्स जत्तिया सीसा उप्पत्तियाए, वेण. इयाए कम्मयाए, पारिणाभियाए, चउव्विहाए बुद्धीए उववेया तस्स तत्तियाइं पइएणगसहस्साइं. पत्तेयबुद्धावितत्तिया चेव, से त्तं कालियं, से तंत्रावस्सयवइरित्तं,से त्तं अणंगपविट्ठ॥सू॥४॥से किं तं अंगपविठं? अंगपविटुंदुवालसविंपएणतं, तंजहा-आयारो १ सूयगडो २ ठाणं ३ समवाओ ४ विवाहपन्नत्ती ५ नायाधम्मकहाओ ६ उवासदसाो ७ अंतगडद. साश्रो अणुत्तरोववाइयदसाश्रो हपण्हावागरणाई १० विवागसुयं ११ दिट्ठिवाओ १२॥ सू०॥४४॥ से किं तं पायारे ? अायारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयारगोयरविण्यवेणइयसिक्खाभासाअभासाचरणकरणजायामायावित्तीओ आघविज्जंति, से समा सोपंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-नाणायारे,दंसणायारे, चरित्तायारे, तवायारे, वीरियायारे, पायारेणं परित्ता वायणा, संखेजा अणुप्रोगदारा, संखिजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखिजानो निज्जुत्तीरो, संखिजात्रो संगहणीओ, संखिज्जाश्रो पडिवत्तीओ, से

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