Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati
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[ ३७ ]
एगवीसं उद्देसणकाला, एक्कवीसं समुद्देसणकाला, बावन्तरि पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अनंता गमा, अता पजवा, परित्ता तसा, अणता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जंति, पन्नविज्जंति, परूविज्जंति, दंसिज्वंति, निदंसिज्वंति, उवदंसिज्वंति । से एवं आया, एवं नाया, एवं विष्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा श्राघविज्जइ, से त्तं ठाणे ३ || सू० ॥ ४७ ॥ से किं तं समवाए ? समवाए णं जीवा समासिज्जंति, जीवा समासिजंति, जीवाजीवा समासिज्जंति, ससमए समासिज्जइ, परसमए समासिज्जइ, ससमय पर समए समासिज्जइ, लोए समासिज्जइ, अलोए समासिज्जइ लोयालोए समासिज्जइ । समवाए गं एगाइयाणं एगुत्तरियाणं ठाणसयविवढियाणं भावाणं परूवणा आघविज्जइ; दुवालसविहस्स य गणिपिढगस्स पल्लवर्ग समासिज्जइ, समवायस्स णं परित्ता वायणा, संखिजा गदारा, संखिज्जा वेढा, संखिज्जा सिलोगा, संविज्जाओ, निजुत्तीओ, संखिजाओ संगहणी, संखिज्जाओ, पडिवत्तीओ, से णं अंगयाच उत्थे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे अज्भपणे, एगे उद्देसuकाले, एगे समुद्देसणकाले, एगे चोयाले
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