Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 38
________________ [ ३६ ] धा, तेवीसं अज्झयणा, तित्तीसं उद्देसणकाला, तित्तीसं समुद्देसणकाला, छत्तीसं पयसहस्साई पयग्गेणं, संखिजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणपण्णत्ता. भावा आपविजंति, पएणविजंति, परुविजंति, दंसिजति, निदंसिजंति, उवदंसिजति, से एवं आया, एवं नाया, एवं विणणाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ, से तं सूयगडे २ ॥सू०॥४६॥ से किं तं ठाणे ? ठाणे गं जीवा ठाविजंति, अजीवा ठाविजंति, जीवाजोवा ठाविनंति, ससमए ठाविजइ, परसमए ठाविजइ, ससमयपरसमएठाविजइ, लोएठाविजइ, अलोए ठाविजइ, लोयालोए ठाविजइ, । ठाणे णं टंका, कूडा, सेला, सिहरिणो, पन्भारा, कुंडाइं, गुहाओ, अागरा, दहा, नईओ, अाघविजंति । ठाणे णं एगाइयाए एगुत्तरियाए वुड्ढीए दसट्ठाणगविवढियाणं भावाणं परूवणा आघविजइ। ठाणे णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुअोगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजात्रो निन्जुत्तीरो, संखेजात्रो संगहणीप्रो; संखेजात्रो पडिवत्तीयो। से णं अंगट्ठयाए तइए अंगे, एगे सुयक्खंधे, दसअज्झयणा

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