Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati
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[ १२ ]
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वा जोयणं पुहुत्तं वा । जोअणसयं वा जोयणसय पुहुत्तं वा जोयण सहस्सं वा जो यणसहस्स पुहुत्तं वा । जो यणलक्खं वा जोयणलक्ख पुहुत्तं वा । जोयणकोर्डि वा जोयकोडि पुहुन्तं वा । जोयणकोडाकोडिं वा जोकोडा कोडि पुहुतं वा । [ जो अणसंखिजंवा जो संखिज पुहुत्तं वा । जो ऋण असंखेजंवा जो असंखेज्जपुहुंत्तंवा ।] उक्कोसेणं लोगं वा पासि ताणं पडिवइज्जा से तं पडिवाइ ओहिनाणं ॥ १४ ॥ से किं तं पडिवाइ ओहिनाणं । अपडिवाइ अहिनाणंजेणं लोगस्स एगमवि आगासपएसं जाणइ पासइते परं पडिवाइ ओहिनागं । से तं अपडिवाइ ओहिनाणं ॥ १५॥ तं समासश्रो चउव्विहं पण्णत्तं तंजहा दव्वत्र, खित्तत्र, कालओ, भावच । तत्थ दव्व ओ ओहिनाणी जहन्नेणं अणंताइं रूविदव्वाइं जाणइ पासइ उक्कोसेणं सव्वाइं रूविदव्वाई जाएइ पासइ, खित्तणं ओहिनाणी जहन्नेणं अंगुलस्स
संखिज्जय भागं जाणइ पासइ, उक्कोसेणं असंखि ज्वाइं लोगे लोगप्पमाण मित्ताई खंडाई जाएइ पासइ, कालओ णं ओहिनाणी जहन्नेणं आवलियाए असंखिज्जय भागं जाणइ पासइ, उक्कोसेणं असंखिज्जाओ उस्सप्पिणीओ अवसप्पिणीओ अईय

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