Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati
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[ १] परिग्गहियाई सम्मसुयं, अहवा मिच्छदिहिस्सवि एयाइं चेव सम्मसुयं, कम्हा ? सम्मत्तहेउत्तणो जम्हा ते मिच्छदिट्ठिया तेहिं चेव समएहिं चोइया समाणा केइ सपक्खदिट्ठीओ चयंति, से त्तं मिच्छा सुयं ॥ सू० ॥ ४१॥ से किं तं साइयंसपज्जवसियं, अणाइयं अपज्जवसियं च ? इच्चे इयं दुवालसंगं गणि पिडगं वुच्छित्तिनयट्ठयाए साइयं सपज्जवसियं अवुच्छित्तिनयट्ठयाए अणाइयं अपज्जवसियं, तं . समासो चउव्विहं पण्णत्तं, तंजहा-व्वश्रो, खित्तो, कालो, भावप्रो, तत्थ व्वो णं सम्मसुयं एगं पुरिसं पड्डुच्च साइयं सपज्जवसियं, बहवे पुरिसे य पडुच्च अणाइयं अपज्जवसियं, खेत्तो णं पंच भरहाई पंचेरवयाइं पडुच्च साइयं सपज्जवसियं, पंच महाविदेहाइं पडुच्च अणाइयं अपज्जवसियं, कालो णं उस्सप्पिणिं प्रोसप्पिणिं च पडुच्च साइयं सपज्जवसियं, नो उस्सप्पिणिं नो प्रोसप्पिणिं च पडुच्च अणाइयं अपज्जवसियं, भावप्रो णं जे जया जिणपन्नत्ता भावा आघविज्जंति, परणविज्जंति, परूविज्जंति, दंसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति, ते तया भावे पडुच्च साइयं सपज्जवसियं खाअोवसमियं पुण भावं पडुच्च अणाइयं अपज्जव

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