Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 13
________________ [ ११ ].. भरहम्मि अद्धमासो, जम्बुद्दीवम्मि साहिओ मासा॥ वासं च मणुय लोए, वासपुहत्तं च रुयगम्मि ॥५६।। संखिजम्मि उ काले, दीवसमुद्दावि हुंति संखिज्जा । कालम्मि असंखिजे, दीवसमुद्दा उ भइयव्वा ॥६०॥ काले चउण्हवुड्ढी, कालो भइयव्वु खित्त वुड्ढीए । वुड्ढीए दव्वपज्जव, भइयव्वा खित्तकाला उ ॥६१॥ सुहुमो य होइ कालो, तत्तो सुहुमयरं हवइ खित्त । अंगुल सेढी मित्तं, अोसप्पिणिो असंखिज्जा ॥६२॥ से त्तं वड्ढमाणयं श्रोहिनाणं सू॥१२॥ से किं तं हीयमाणयंत्रोहिनाणं? हीयमाणयं ओहिनाणं अप्पसत्थेहि अज्झवसायट्ठाणेहिं वड्ढमाणस्स वडूढमाणचरित्तस्स संकिलिस्स माणस्स संकिलिस्समाणचरित्तस्स सव्वश्रो समन्ता अोही परिहायइ से तंहीयमाणयंत्रोहिनाणं ॥१३॥ से किं तं पडिवाइ अोहिनाणं ? पडिवाह प्रोहिनाणं जहणणेणं अंगुलस्स असंखिजय भागं वा संखिजय भागं वा बालग्गं वा बालग्ग पुहुत्तं वा लिक्खं वा लिक्खपुहुत्तवा, जूगंवा जूगंपुहुत्तंवा, जवंवा जव पुहुत्तं वा।अंगुलं वा अंगुलपुहुत्तं वा। पायंवा पाय पुहुत्तं वा । विहत्थिं वा विहत्थि पहुत्तं वा । रयणिं वा रयणि पुहुत्तं वा । कुञ्छि वा कुच्छिपुहुत्तं वा, धjथा धणुपहुतं वा। गाउघंवा गाउयपुहुत्तं वा । जोयण

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