Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

View full book text
Previous | Next

Page 22
________________ [ २० ] सेत्तं पञ्चक्खनाणं॥सू०॥२३॥ से किंतं परोक्खनाणं? परोक्खनाणं दुविहं पन्नत्तं, तंजहा-आभिणिबोहियनाणपरोक्खं च, सुयनाण परोक्खं च, जत्थ आभिणिबोहियनाणं तत्थ सुयनाणं, जत्थ सुयनाणं तत्थाभिणिबोहियनाणं, दोऽवि एयाइं अण्णमण्णमणुगयाई, तहवि पुण इत्थ अायरिया नाणत्तं पण्णवयंतिअभिनिबुज्झइति आभिणिबोहियनाणं, सुणेइत्ति सुयं, मइपुव्वं जेण सुयं, न मई सुयपुब्विया ॥सू०॥ ॥२४॥ अविसेसिया मई, मइनाणं च मइअन्नाणं च। विसेसिया सम्मदिहिस्स मई मइनाणं, मिच्छद्दिहिस्स मई मइअन्नाणं । अविसेसियं सुयं सुयनाणं च सुय. अन्नाणं च । विसेसियं मुयं सम्मदिहिस्स सुयं सुयनाणं, मिच्छद्दिहिस्स सुयं सुयअन्नाणं ॥सू०॥ २५ ॥ से किं तंत्राभिणिबोहियनाणं? आभिणिबोहियनाणं दुविहं परणत्तं, तंजहा-सुयनिस्सियं च, अस्सुयनिस्सियं च । से किं तं अस्सुयनिस्सियं ? अस्सुयनि स्सियं चउव्विहं पण्णत्तं, तंजहा- उप्पत्तिया १ वेणइया २, कम्मया ३, परिणामिया ४ । बुद्धि चउविवहा वुत्ता, पंचमा नोवलब्भइ ॥६८॥ सू० ॥२६॥ पुत्वमदिट्ठमस्सुयमवेइय, तक्खणविसुद्धगहियत्था। अव्वाहयफलजोगा, बुद्धि उप्पत्तिया नाम ॥ ६६ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60