Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 28
________________ [ २६ ] सह, तो णं धारेइ संखेज्जं वा कालं, असंखेज्ज वा कालं । से जहानामए केहपुरिसे अव्वत्तं गंध अग्घाइज्जा तेणं गंघत्तिउग्गहिए, नो चेव णं जाणा के वेस गंधेत्ति; तो ईहं पविसइ. तो जाणइ अमुगे एस गंधे; तो अवायं पविसइ, तो से उवगयं हवइ, तो धारणं पविसइ, तो णं धारेइ संखेजं वा कालं असंखेजं वा कालं । से जहानामएके पुरिसे अव्वत्तं रसं श्रोसाइज्जा तेणं रसोत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस रसेत्ति; तो ईहं पविसइ, तो जाणइ अमुगे एस रसे, तो अवायं पविसइ, तो से उवगयं हवा तो धारणं पविसह,तो गंधारेइ संखिजं वा कालं असंखिज्ज वा कालं । से जहानामए केइ पुरिसे अव्वत्तं फासं पडिसंवेइज्जा तेणं फासेत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस फासश्रोत्ति; तो ईहं पविसइ, तो जाणइ अमुगे एस फासे, तो अवायं पविसइ, तो से उहगयं हवइ, तो धारणं पविसइ, तो णं धारेइ संखेज वा कालं असंखेज्जं वा कालं । से जहानामए केइ पुरिसे अव्वत्तं सुमिणं पासिज्जा तेणं सुमिणेत्ति उग्गहिए, नो चेव णं जाणइ के वेस सुमिणेत्ति, तो ईहं पविसह, तो जाणइ अमुगे

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