Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 9
________________ [ . “सा समासत्रो तिविहा पन्नत्ता तंजहा जाणिया, अजाणिया, दुब्वियड्ढा" जाणिया जहा खीरमिव, . जहा हंसा जे घुट्टन्ति इह गुरुगुण समिद्धा दोसे य विवजंति तं जाणसु जाणियं परिसं ॥५२॥ अजापिया जहा-जा होइ पगइमहुरा मियछावय सीह कुक्कुडय भूत्रा । रयणमिव असंठविया । अजाणिया साभवे परिसा ॥५३।। दुब्वियड्ढा जहा-नय कत्थइ निम्माअोन य पुच्छह परिभवस्स दोसेणं । वत्थिव्व वायपुगणो फुइगामिल्लयवियड्ढो दुव्वियडढो॥५४॥ (सूत्र) नाणं पञ्चविहं पन्नतं, तंजहा-आभिणि बोहियनाणं सुखनाणं, अोहिनाणं, मणपजवनाणं, केवलनाणं॥१॥ तं समासश्रो दुविहं परणतं, तंजहापञ्चक्खं च परोक्खं च ॥ सू०२॥से किं तं पञ्चक्खं ? ' पञ्चक्खं दुविहंपण्णत्तं, तंजहा इंदियपच्चक्खं। नोइंदियपच्चक्खं च ॥ सू० ३॥ से किं तं इंदिय पञ्चक्खं ? इंदियपच्चक्खं पश्चविहं पण्णत्तं, तंजहा-सो इंदियपच्चक्खं । चविखदिय पञ्चक्रवं । घापिदिय पञ्चक्खं। जिभिदिय पचक्खं । फासिंदिय पच्चकखं। सेनं इंदियपञ्चक्खं । सू० ४॥ से किं तं नोइंदियपञ्चक्खं ? नोइंदियपच्चक्खं तिविहं. परणत्तं तंजहा-ओहिनाण पचक्खं । भणपज्जवनाण पञ्चक्खं । केवलनाण

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