Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati
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[८ ] पचक्खं ॥शासे किंतं मोहिनाण पञ्चक्खं ? श्रोहिनाण पचक्खं दुविहं पगणतं, तंजहा-भवपञ्चइयंचखाओवसमियं च ॥६॥से किं तं भवपञ्चइयं? भवपञ्चइयं दुण्हं, तंजहा-देवाणय नेरइयाणय ॥७॥से किं तं खा प्रोवसमियं? खाअोवसमयं दुण्हं, तंजहा-मणूसाण य पंचेंदिय तिरिक्ख जोणियाण य । को हेऊ खाअोवसमियं? खात्रोवसमियं तयावरणि जाणं कम्माणं उदिणाणं खएणं अणुदिणाणं उवसमेणं अोहिनाणं समुपज्जइ ।। सू०८॥ अहवा गुणपडिवन्न स्स अणगारस्स अोहिनाणं समुपज्जइ तं समासो छव्विहं पगणतं, तंजहा-आणुगामियं, अणाणुगामियं वड्ढमाणयं, हीयमाणयं, पडिवाइयं, अपडिवाइयं, ॥६॥ से किं तं प्राणुगामियं प्राणुगामियं श्रोहिनाणं दुविहं पण्णत्तं, तंजहा-अंतगगं च मझगयं च।से किंतं अंतगगं? अंतगयंतिविहं पण्णत्तं तंजहा पुरो अंतगयं?मग्गो अंतगयं। पासो अंतगणं से किं तं पुरो अंतगगं ? पुरो अंतगयं-से जहा नामए केइ पुरिसे उकवा चड्डुलियं वा अलायं वा मणिं वा पईवं वा जोई वा पुरो काउं पणुल्लेमाणे २ गच्छेज्जा, से तं पुरो अंतगयं । से किं तं मग्गो

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