Book Title: Nandisutra Mool Path
Author(s): Chotelal Yati
Publisher: Chotelal Yati

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Page 6
________________ [ ४ ] एलावच्चसगोत्तं वंदामि महागिरि सुहत्थिं च ॥, तत्तो कोसियगोत्तं बहुलस्स सरिव्वयं वन्दे ॥२७॥ हारिय गुत्तं साइं च वंदिमो हारियं च सामजं ॥ वन्दे कोसिय गोत्तं संडिल्लं अज्ज जीयधरं ॥२८॥ तिसमुद्दखायकित्तिं दीव समुद्देसु गहिय पेयालं ॥ वंदे अज्ज समुह अक्खुभिय समुद्दगंभीरं ॥२६॥ भणगं करगं झरगं पभावगं णाणदंसण गुणाणं ॥ वंदामि अज मंगुं सुय सागर पारगं धीरं ॥३०॥ वंदामि अज्ज धम्मं तत्तो वंदे य भद्द गुत्तं च ।। तत्तोय अज्ज वइरं तव नियम गुणेहिं वहर समं ॥३१॥ वंदामि अज्ज रक्खिय खमणे रक्खिय चारित्त सव्वस्से ॥ रयण करडंग भूत्रो अणुरोगो रक्खिो जेहिं ॥३२॥ नाणम्मि दंसण म्मिय तव विणए णिच्च काल मुज्जुत्तं॥ अज्जं नंदिलखमणं सिरसा वंदे पसन्नमणं ॥३३॥ वढउ वायगवंसो जसवंसो अज नागहत्थीणं ।। वागरण करण भंगिय कम्मप्पयडी पहाणाणं ॥३४॥ जच्चंजण धाउ समप्पहाण मुद्दिय कुवलय निहाणं ॥ वढउ वायगवंसो रेवइनक्खत्त नामाणं ॥३॥ अयलपुरा णिक्खंते कालियसुय प्राणुरोगिए धीरे॥ बंभद्दीवगसीह वायगपय मुत्तमं पत्ते ॥३६॥

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