Book Title: Nandanvan Kalpataru 2006 00 SrNo 16
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 55
________________ "" राष्ट्र-रक्षा वासुदेव वि. पाठकः 'वागर्थ' ' कार्या संस्कृत-संस्कृतिरक्षा, तथैवोज्ज्वला राष्ट्र-सुरक्षा ॥ संस्कृतिरेषा संस्कृताधृता ऋषिभिर्मनीषिभिरलता; अस्यास्सर्वोत्कृष्टा कक्षा, कार्या संस्कृत.... ॥ सकले विश्वे भारतीयता उत्कर्षार्थं वराऽधिकृता; सर्वेषां कल्याणे दक्षा, कार्या संस्कृत..... ॥ भारतेऽस्ति शास्त्राणामृद्धिः, संस्काराणामतिसमृद्धिः; स्याम च सर्वहितार्थं दक्षाः, कार्या संस्कृत..... ॥ किं करिष्यति पाण्डित्यमपात्रे प्रतिपादितम् । सपिधानघटान्तःस्थः प्रदीप इव वेश्मनि ।। (जैनपञ्चतन्त्रे) ४२ Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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