Book Title: Namo Purisavaragandh Hatthinam
Author(s): Dharmchand Jain and Others
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Ratna Hiteshi Shravak Sangh
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प्रकाशकीय जीवनवृत्त के कई प्रसंग अनुपलब्ध होने से ग्रन्थ के भाग नहीं बन सके हैं, आशा है इसे भक्तजन अन्यथा नहीं लेंगे।
अनेक उदारमना श्रद्धानिष्ठ गुरुभक्त श्रावक इस प्रकाशन में सहयोगी बनने के इच्छुक थे। कइयों की भावना थी कि सम्पूर्ण प्रकाशन का लाभ उन्हें ही दिया जाय, किन्तु विचारोपरान्त यही उचित समझा गया कि विराट् व्यक्तित्व के जीवन-चरित्र के प्रकाशन-सहयोग का लाभ अधिकाधिक भक्तों को मिल सके। इस दृष्टि से अनेक नाम प्रकाशन-योजना में सम्मिलित हए हैं। हम सबके प्रति आभार ज्ञापित करते हैं। अर्थ-सहयोगियों की नामावली आकारादि क्रम से ग्रन्थ के अन्त में दी जा रही है।
विदुषी बहिन डॉ. सुषमा जी सिंघवी, श्री लक्ष्मीकान्त जी जोशी, श्री पुखराज जी मोहनोत, डॉ. महेन्द्रकुमार जी भानावत, श्री सरदारचन्द जी भण्डारी, श्री नेमीचन्द जी बोथरा, श्री नौरतन जी मेहता, श्री धर्मचन्द जी जैन-रजिस्ट्रार, सुश्री मीना जी बोहरा, सुश्री श्वेता जी जैन एवं श्री जितेन्द्र जी जोशी आदि सभी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोगीगण का मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ। श्री नरेद्र प्रकाश जी जैन (मैसर्स मोतीलाल बनारसीदास) नई दिल्ली ने रुचिपूर्वक ग्रन्थ का मुद्रण कार्य सम्पन्न कराया है, एतदर्थ उनका भी धन्यवाद ज्ञापित करना अपना कर्तव्य समझता हूँ।
पूज्य आचार्य भगवन्त का जीवन-ग्रन्थ 'नमो पुरिसवरगंधहीणं' आपके कर-कमलों में है। आप इसका रसास्वादन करें एवं अपने जीवन को सफलीभूत करें, यही शुभ भावना है।
आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी १२ जुलाई २००३
-ज्ञानेन्द्र बाफना
अध्यक्ष आचार्य श्री हस्ती जीवन चरित्र प्रकाशन समिति, जोधपुर