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सिर खुजलाने लग जाएगा । स्मरणशक्ति पर बल प्रयोग होगा । विचारमग्न हो जाएगा कि मुझे क्या बोलने का निर्देश आदेश है ? यह भला कौनसा सूत्र है ? और संभवतः उत्तर भी दे बैठे कि श्रीमान् ! यह सूत्र तो मुझे नही आता है । मैंने इसे नहीं पढ़ा परन्तु यदि उसे सूत्र के दोनों नाम समझा दें कि भाई ! यह तो वही सूत्र है जो तुम्हे अच्छी तरह याद है । यह और कोई नहीं बल्कि 'लोगस्स सूत्र' है । लोगस्स का ही यह अपर नाम है नामस्तव सूत्र । शक्रस्तव का ही दूसरा नाम है नमुत्थुणं सूत्र... यदि इतना सा संकेत दे दें तो कोई भी फौरन त्वरित गति से बोल सकता है, क्यों कि उसकी स्मरणशक्ति पर आधारित जो पद्धति थी, वह उसके स्मृति पटल पर उभर आई और वह तुरन्त क्रियान्वित हो गई ।
इस दूसरी विषयानुसारी पद्धति के अनुसार नवकार का नामकरण 'श्री पंचमंगल महाश्रुतस्कंध' किया गया है । श्री महानिशीथ सूत्रादि आगमों में इस नाम का विशेष उल्लेख है । पंच अर्थात् अरिहंतादि पाँच परमेष्ठि । भगवंतों को किये जाते नमस्कार का सूत्र - श्रुत शास्त्र अर्थात् श्रुतज्ञान के क्षेत्र में महाश्रुतस्कंध है ।
समस्त शास्त्रों के ज्ञान को श्रुतज्ञान कहते हैं जिनमें १४ पूर्व और द्वादशांगी आदि समस्त श्रुत शास्त्रों का समावेश हो जाता है । ऐसे द्वादशांगी रुप महा श्रुत के स्कंध - आधार स्तम्भ रुप में नवकार महामंत्र को गिना गया है । अर्थात् द्वादशांगी को एक भव्य प्रासाद के रूप में स्वीकार कर उसके मूलाधार स्तंभ के रुप में श्री नमस्कार महामंत्र को स्थान दिया गया है ।
नवकार का शब्दार्थ :
गया है । लोक
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नवकार लोकभाषा में प्रचलित और प्रसिद्ध नाम हो व्यवहार में अधिकांशतः नवकार शब्द अधिक बोला जाता है । इस लोक प्रचलित नवकार शब्द का क्या अर्थ करेंगे ? विनोद के लिये भी लोग चाहे जो अर्थ कर देते हैं । नवकार के नव अर्थात् नवीन, नई New और कार अर्थात् car कहने से नवकार का अर्थ New car हो जाता हैं । यह अर्थ हमें अभिप्रेत नहीं है । नवकार शब्द के नव को संख्यावाची अर्थ में लेते हैं तो ९ बन जाता है और फिर कार - गाड़ी तो इस प्रकार नवकार नौ गाड़ियाँ हो जाता है जो बहुत ही हास्यास्पद है - निरर्थक है | नवकार का मुख्य अर्थ कुछ और ही है ।
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