Book Title: Namaskar Mahamantra Ka Anuprekshatmak Vigyan
Author(s): Arunvijay
Publisher: Mahavir Research Foundation

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Page 410
________________ (४) आचार्य पद (७) साधु पद (१०) विनय पद (१४) तप पद (१३) क्रिया पद (१६) वैयावच्च पद (जिन) (१७) संयम पद (२०) तीर्थ पद (१९) श्रुतपद जिन शासन में जिस प्रकार नौ पद हैं, उसी प्रकार ये २० पद हैं । इन्हीं २० पदों की आराधना करके तीर्थंकर पद उपार्जीत किया जाता है । त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र के महान् ग्रंथ में हेमचन्द्राचार्य महाराज इन बीसों ही पदों की आराधना करके तीर्थंकर नाम कर्मोपार्जन करने का फरमाते हैं । दूसरी और इन २० पदों में से किसी एक पद की आराधना करके भी तीर्थंकर नाम कर्म उपार्जित कर अरिहंत बनकर अनेक जीव मोक्ष में गए हैं। दोनों ही नियम प्रचलित हैं (५) स्थविर पद (८) ज्ञान पद (११) चारित्र पद (६) उपाध्याय - पाठक पद (९) दर्शन पद (१२) ब्रह्मचर्य पद (१५) गोयम पद (दान) (१८) अभिनव ज्ञान पद श्री लक्ष्मीसूरी महाराज कृत बीस स्थानक की पूजा में बीस स्थानक पदों में से एक एक पद की आराधना करके कौन कौन मोक्ष में गए हैं, उनकी नाम सूची इस प्रकार दी गई हैं : (१) अरिहंत पद की आराधना करके देवपाल राजा तीर्थंकर नाम कर्म बाँधते हैं । (२) सिद्ध पद की आराधना करके हस्तिपाल राजा तीर्थंकर नाम कर्म बाँधते हैं। (३) प्रवचन पद की आराधना करके जिनदत्त सेठ तीर्थंकर नाम कर्म बाँधते हैं। (४) आचार्य पद की आराधना करके पुरुषोत्तम राजा तीर्थंकर नाम कर्म बाँधते हैं (५) स्थविर पद की आराधना करके पद्मोत्तर राजा तीर्थकर नाम कर्म बाँधते हैं। (६) उपाध्याय पद की आराधना करके महेन्द्रपाल राजा तीर्थंकर नाम कर्म बाँधते हैं । (७) साधु पद की आराधना करके वीरभद्र तीर्थंकर नाम कर्म बांधते हैं। (८) ज्ञान पद की आराधना करके जयन्तदेव तीर्थंकर नाम कर्म बाँधते हैं। सम्यग्दर्शन पद की आराधना करके हरिविक्रमराजा तीर्थकर नाम कर्म बाँध हैं । ( ९ ) 7 (१०) विनय पद की आराधना करके धनसेठ तीर्थंकर नाम कर्म बाँधते हैं। (११) आवश्यक चारित्र पद की आराधना करके अरुण देवं तीर्थंकर नाम कर्म 388

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