Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 12
________________ नाभाक चरित्रं SCHICHO // 11 // . युगादिदेवस्य विशिष्टयात्रया, विवेकिना ग्राह्यमिदं फलं श्रियाः // 31 // . अर्थ-(तीर्थ माला स्तवमां पण का छे के) माटे हे भूपति ! आ भारतभूमि तेमज उत्तम मनुष्यजन्म पामीने, युगादिदेव श्रीआदिनाथनी विशिष्ट प्रकारनी यात्रा करीने विवेकी पुरुषोए पोताने प्राप्त थयेली लक्ष्मीन फळ ग्रहण करवं.॥३१॥ एवं श्रुत्वा नरेशोऽपि, तीर्थमाहात्म्यमदभुतम् / विसृज्य श्रेष्ठिनं यात्रा-निमित्तं लग्नमग्रहीत् // 3 // अर्थ-आ प्रमाणे श्री शत्रुजय तीर्थ नो अद्भुत प्रभाव सांभळीने नाभाक राजाए ते धनाढ्य शेठने विसर्जन करो, श्रीशत्रुजय तीर्थनी यात्राने माटे उत्तम लग्न-मूहुर्त जोवडाव्युं // 32 // लग्नक्षणे व्यतिक्रान्ते, ब्रह्मद्वारव्यथावशात् / पश्चात्तापं दधद भूपो, द्वितीयं लग्नमग्रहीत // 33 // 4 अर्थ—पण ज्यारे मुहूर्तनों दिवस आव्यो त्यारे कर्मयोगे मस्तकमां ब्रह्मद्वारने विषे असह्य पीडा थवाथी तेनाथी जइ शकायुं नहीं, तेथी पश्चात्ताप करता राजाए ज्योतिषी पासे बीजुं मुहूर्त कढाव्यु.॥ 33 // - आकस्मिकसमुद्भुत-ज्येष्ठपुत्रव्यथावशात् / तस्मिन्नपि गते लग्ने, तृतीयं लग्नमाददे // 34 // अर्थ-ते बीजी वखते जोवडावेला मुहूर्तनो दिवस आवतां पोताना मोटा पुत्रने अकस्मात् व्यथा उत्पन्न थवाथी ते बीजुं मुहूर्त / श्री पण गयु. त्यारे राजाए ज्योतिषीओ पासे त्रीजु मुहूर्त कढाव्यु. // 34 // पट्टदेवीमहाकष्टा-जातस्तस्याऽप्यतिक्रमः। स्वचक्रशङ्कया लग्न-मत्यगात तुर्यमप्यथ // 35 // PIC Gunratnasuri M.S. 55-554555 30 % Jun Gun Aaradhak PA - --

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