Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 20
________________ नाभाक REGULASIC 5595 6 यात्रा माटे विसर्जन कर्यो // 65 // ____अथ द्विगुणितोत्साहः, समुद्रः स्वकुटुम्बयुक् / मुहूर्तान्तरमादाय, यात्रार्थ प्रास्थित द्रुतम् // 66 // अर्थ-आ प्रमाणे राजानुं सन्मान पामवाथी बमणो उत्साहित थयेला समुद्रे निमित्तया पासे बीलु उत्तम मुहूर्त कढावी पोताना // 19 // कुटुंब सहित यात्राने माटे शीघ्र प्रयाण कयु // 66 // . चतुर्मियोंजनैरर्वाक्, श्रीशत्रुञ्जयतीर्थतः। यावद् भुङ्क्ते सरस्तीरे, श्रीकाञ्चनपुरे पुरे // 67 // ___तत्राऽपुत्रे मृते भूपे, तावद् मन्त्राऽधिवासितैः / आगत्य पञ्चभिर्दिव्य, राज्यं तस्मै ददे मुदा॥८॥ अर्थ-श्रीशत्रुजय तीर्थ थी चार योजन दूर श्रीकांचनपुर नामना नगरनी नजीकना सरोवरने कांठे जेवामां भोजन करे छे तेवामां में ते नगरमां पुत्र रहित राजा मरण पामवाथी मंत्र वडे अधिवासित थयेला पांच दिव्योए त्यां आवी तेने हर्षसहित राज्य अर्पण कयु.॥६७-६८ गजारूढः सितच्छत्र-शाली चामरवीजितः / अन्वीयमानः पूलोंकैः, स्तूयमानः कवीश्वरैः // 69 // 7 // चतुरङ्गचमूचार-विचित्राऽखिलसत्पथः / राज्यतूर्यध्यानपूर्य-माणब्रह्माण्डमण्डपः // 70 // विलसत्तोरणं प्रोच्चपताकं प्रेक्ष्यनाटकम् / वर्णाम्भःसिक्त पीठ-व्यक्तस्वस्तिकसङ्कुलम् // 71 // विचित्रोल्लोचसम्पूर्णा-ऽऽपणश्रेणिविराजितम् / समुद्रपालभूपालः, सोत्सवं प्राविशत् पुरम् // 72 // Ac Gunratnasur M.SI Jun Gun Aaradhak

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