Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ चरित्र // 51 // हदिवसे चक्रवर्ती भरतेश्वर महाराजानी पेठे श्रीशत्रुजय तीर्थनी यात्रा निमित्ते गुरु महाराज साथे त्यांथी प्रयाण कर्यु // 21 // नाभाक चतुर्धाऽऽयप्रयाणेषु, मार्जारीषु, पदोपरि / समुत्तीर्णासु तछेतुं, पृष्टाः श्रीगुरवोऽवदन् // 211 // + अर्थ-श्रीशत्रुजयनी यात्रा माटे नाभाकराजा प्रयाण करतो हतो तेवामां शरुआतमांज चार बिलाडी तेना पग आगळ थइने चाली गइ. राजाए गुरुमहाराजने तेनुं कारण पूछ्युं, त्यारे गुरुमहाराजे कयु के-॥ 211 / / बालादिहत्याः स्वं भावं, पुण्यप्रत्यूहहेतवे ! दर्शयन्ति परं सिद्धि-ध्रुवं स्यादेकचेतसः // 212 // अर्थ-“हे राजन् ! तें जे पूर्व भानुना भवमा बालहत्यादि हत्याओ करी ते पापो पुण्यकार्यमां विघ्न करवा माटे पोतानो भाव भजवे द छे, पण पुण्यकार्यमा प्रवृत्त थयेल दृढ चित्तवाळो खरेखर पोताना कार्यमां फत्तेह मेळवे छे" // 212 // IPI मत्वैवमेकचित्तः स-नादिदेवस्मृतौ नृपः / उपशजयं प्रापा-ऽनवच्छिन्नप्रयाणकैः // 213 // अर्थ-आ प्रमाणे गुरु महाराजनुं वचन हृदयमां सद्दहीने श्रीमान् आदीश्वरप्रभुना ध्यानमां एकाग्र मनवाळो नामाकराजा अस्खलित मयाणथी श्रीशत्रुजय पर्वत पासे पहोंच्यो // 213 // दृग्विषयं तोर्थे प्राप्ते, निजसैन्यं निवेश्य सः / शुचिर्भूत्वाऽभितीर्थ च, पदानि कतिचिद्ददौ // 214 // सिंहासनेऽथ न्यस्याऽहंदू-बिम्बं सकलसङ्घयुक् / स्नपयित्वा ततः सर्व-पूजाभेदैरपूजयत् // 215 // ACCOCALCROSECRE-%AL SHESARI55ॐद्रमा Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak

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