Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ चरित्रं // 50 // 8% धीमां मैथुननोत्याग करुं छु, ब्राह्मणहत्यानी शुद्धि माटे दहींनो त्याग करुं छु, अने बाल हत्यानी शुद्धि माटे धनो त्याग करुं छु, नाभाक व स्त्रीहत्या अने गौहत्यानी शुद्धि माटे यावज्जीव परस्त्री मांस अने मद्यनो त्याग करूं छु, // 204-205-206 // नियोज्य स्वजनान्नव्य-प्रासादाथै गुरोगिरा / एकान्तरोपवासैःसो-ऽष्टमासीतप आददे // 107 // // 50 // अर्थ-त्यार पछी गुरुमहाराजना उपदेशथी नवीन देरासर बंधाववा माटे पोताना माणसोने आज्ञा करी एकांतरे उपवास करवा पूर्वक तेणे अष्टमासी तप शरु कर्यो / 207 // सिहिं गतेऽथ प्रासादे-ऽष्टभिर्मासैः स काञ्चनाम् / श्रीआदिदेवप्रतिमां, स्थापयामास सोत्सवम् // 108 // | अर्थ-आठ महिने देरासर पूर्ण थयुं त्यारे नाभाकराजाए ते देरासरमां म्होटा उत्सव पूर्वक श्रीऋषभदेव प्रभुनी सुवर्णमय प्रतिमा प्रतिष्ठित करावी // 208 // तत्र त्रिकालं सर्वज्ञ-मर्चयन् विधिवन्नृपः / मासाष्टकेन सम्पूर्णी-चके शेषतपोऽखिलम् // 209 // अर्थ-पोते बंधावेला नवीन देरासरमा प्रतिष्ठित करावेली श्रीऋषभदेव सर्वज्ञनी प्रतिमानी हमेशां त्रण काल विधियुक्त पूजा करतां IM नाभाकराजाए आठ महिने बाकीनो तप पूरो कर्यो / 209 // तीर्थहत्याविनिर्मक्तः, शुभेऽहि भरतेशवत / श्रीशनंजययात्रार्थ. चचाल ग्ररुभिः सह // 21 // 18 अर्थ-आ प्रमाणे अष्टमासी तप करवाथी अने नवीन देरासर बंधाववाथी तीर्थहत्याना पापथी मुक्त थयेल ते नामाकराजाए शुभ / AE25A 18 . Gunratnasuri M.s Jun Gun Aaradhal

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