Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ अगाद द्वादशकल्पेऽथ, नृजन्माऽवाप्य सेत्स्यति / देवोऽपि प्राप्य मानुष्यं,शाश्वतं सौख्यमाप्स्यति।२९।युग्मम 18 अर्थ-आ प्रमाणे पुण्यशाली नाभाकराजाए पोताना विस्तृत राज्यने चिरकाल सुधी स्थिर रीते पालन कर्यु, अंतकाले ते बुद्धिमान् 4 चरित्रं राजा अणसण ग्रहण करी बारमा अच्युत देवलोकमां देव थयो, त्यांथी च्यवी मनुष्य जन्म प्राप्त करी सिद्ध थशे. चन्द्रादित्य देव पण देवलोकमांथी च्यवी मनुष्यपणुं प्राप्त करी मोक्षमा शाश्वतुं सुख पमशे // 293-293 // __ श्रीनाभाकनरेन्द्रस्य, निशम्येदं कथानकम् / देवद्रव्याच्च दूरेण, नित्यं स्थेयं मनीषिभिः // 294 // | अर्थ-आ प्रमाणे श्रीनामाकराजानी कथा सांभळीने बुद्धिमान् पुरुषोए देवद्रव्यथी तद्दन दूर रहे, उचित छ / 294 // श्रीमदञ्चलगच्छेश-श्रीमेरुतुङ्गसूरिभिः। युग युगभूसङ्ख्ये, वर्षे निर्मिता कथा // 295 // अर्थ-श्रीमान् अंचलगच्छाधिपति श्रीमरुतुंगमरिए चौदसेने चोसठनी सालमां आ कथा रची // 295 // आ ग्रंथ जामनगरनिवासी पंडित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयने माटे पोताना श्रीजैनभास्करोदय प्रेसमां छाप्यो. // इतिश्री श्रीनाभाकराजचरित्रं समाप्तम् // CARCIATICA Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

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