Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ नाभाक // 64 // तत्र न्यकृतकल्पद्रु-र्डिण्डिमोद्घोषपूर्वकम् / स्वमर्थमार्थसात्तन्व-नदारियं जगद् व्यधात् // 271 // अर्थ-त्यां रही दान आपवा माटे पटहोद्घोषणा करावी, अने जेना दानगुण पासे कल्पवृक्षो पण हलका पडी गया एवा ते राजाए चरित्रं पोतानुं धन याचक जनोने आपतां सर्व जगत् अदारिद्य करी दीधुं / / 271 // अथ पुण्यपवित्रात्मा, क्षालिताऽखिलकश्मलः। गुरुभिः सह भूपालः, प्रतस्थे स्वपुरं प्रति // 272 // 81 अर्थ-इवे पुण्यबडे पवित्र आत्मावाळो ते नाभाकराजा पोताना समग्र पापनी शुद्धि करी गुरुमहाराज साथे पोताना नगर तरफ चाल्यो। KI अनुपानद गुरोर्बाम-भागेन पथि सञ्चरन् / दर्शयन्नुच्चनीचां च, भुवं भक्ताग्रणीरभृत् // 273 // 18 अर्थ-रस्तामां गुरुमहाराजने डावे पडखेउघाडे पगे चालतो अने उंचाण-नीचाणवाळी पृथ्वीने बतावतो तेनाभाकराजा गुरुभक्त शिरोमणिथयो / चन्द्रादित्यसरः सेना-मानं छत्रं वितानयन् / चामरांश्चालयन् पार्श्व-द्वये सदगुरुभूपयोः // 274 // संवर्तकाऽनिलेनाग्रे, कण्टकाद्यपसारयन् / गन्धोदकस्य वर्षेण, मार्गस्थं शमयन रंजः // 275 // सुगन्धिभिः पञ्चवर्ण-दिव्यपुष्पैर्भुवं स्तृणन् / संचारयन् पुरस्थं च, योजनोच्चमहाध्वजम् // 276 // एतयोरवमन्तारो, यास्यन्ति प्रलयं स्वयम् / एतत्पादाब्जनन्तारो, वर्डिष्यन्ते महाश्रिया // 277 // इत्यम्बरगिरा साकं,दुन्दुभिं दिवि ताडयन् / गुरूणां विदधे भक्तिं, सान्निभ्यं च महीपतेः।२७८ापञ्चभिःकुलकम् ) BEHAC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Auradha

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