Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 39
________________ नाभाक चरित्रं 38 // कृत्वोपवासमप्यद्य, दास्ये भक्तं निजं ध्रुवम् / सद्यः प्रसय गृह्णीते-त्याग्रहादग्रही मुनिः // 15 // 18 अर्थ-हुं आजे उपवास करीने पण मारा भागर्नु भोजन आपने वहोराबीशज, माटे मारा उपर कृपा करी जलदी आ भात ग्रहण करो'। आ प्रमाणे तेना अतिशय आग्रहथी मुनिराजे ते अन्न वहोर्यु // 151 // ततः कृत्वोपवासं स निषेधं चाऽसुमद्वधे / साधोः पार्थात् प्राप्तराज्य-मिवात्मानममन्यत // 152 // अर्थ-त्यारबाद ते खेडुते मुनिराज पासेथी उपवासर्नु तथा प्राणिवधनुं पञ्चक्खाण करी खरेखर आजे में महात्मा मुनिराजने अन्नदान आपी राज्य मेळव्युं छे, ए प्रमाणे पोताना आत्माने मानवा लाग्यो // 152 // एवमर्जितसत्कर्मा, कौशिको भद्रकाशयः / विपद्य चित्रकूटाद्रौ, चित्रपुर्या नृपोऽभवत् // 153 // / अर्थ-आवी रीते भद्रक परिणामी ते कौशिक पुण्य उपार्जन करी, आयुष्य पूर्ण थतां मरण पामी, चित्रकूट पर्वत उपर रहेल चित्र8 पुरी नगरीमा राजा थयो / 153 // चन्द्रादित्याभिधः शुद्ध-दयापुण्यविभावितः। निरामयो महारूपा-ऽनङ्गीकृतमनोभवः // 15 // से अर्थ-तेनुं नाम चन्द्रादित्य राखवामां आव्यु हतुं. चन्द्रादित्यतुं हृदय शुद्धदया अने पुण्यना संस्कारवाळु हतुं, शरीरे निरोगी हतो, है तेनुं शारीरिक सौंदर्य अने लावण्य एटलुं बधुं सुशोभित हतुं के जाणे रूपमा कामदेव पण तेनाथी पराभव पामे // 154 // तस्याऽऽकण्ठवपुर्दष्ट-कुष्ठेनाश्लिष्टमन्यदा / तेनाऽऽकण्ठपटोच्छन्न-देह एव स तिष्ठति // 155 // CCASIRSAGAR %25A5% HIAC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak

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