Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 45
________________ अर्थ-दरेक जन्ममां आ पर्वतना शिखर उपर वैतरुं करवा माटे हमेशां चडवाना अभ्यासथी आ भवमां पण आ गधेडो पर्वत उपर नाभाक पोतानी मेळे चडी जाय छे॥ 178 // चरित्रं न श्रुत्वेति भूपतिस्तस्य, सारार्थ कृपया ददौ ! शिक्षां कुम्भकृते सोऽपि, यत्नात्तं पर्यपालयत् // 179 // // 44 // अर्थ-आ प्रपाणे राजाए गधेडानुं वृत्तांत श्रवण करी दया आववाथी तेनी सारवार माटे' कुंभारने शिखामण आपी, त्यारथी कुं-12॥४४॥ भार पण तेनुं सारी रीते पालन करवा लाग्यो // 179 // .. .. अथासौ भद्रकस्वान्तो, मृत्वा ग्रामे मुरस्थले / ग्रामणीर्भानुनामाऽमृद्, राज्ञा निर्वासितोऽन्यदा // 180 // * अर्थ-तदनन्तर भद्रक मनवाळो गधेडो मरण पामीने सुरस्थल गाममा भानु नामनो गामनो मुखी थयो, त्यां कोइपण कारणसर राजानो अपराधी बनवाथी एक दिवसे राजाए गाममाथी काढी मूक्यो / / 180 // . गडावतें स्थितः सोऽथ, वृत्तिलोपमसासहिः क्रूरकर्माऽजितेरेव, द्रव्यैः स्वं निरवीवहत् // 18 // अर्थ-राजाए गाममांथी काढी मृकेलो भानु गंगाने कांठे रहेवा लाग्यो, अने पोतानी. चालु अजीविकानो नाश नहीं सहन थवाथी पापी भरपूर क्रूर कार्योथी पैसा उपार्जन करी ते वडे पोतानो निर्वाह चलाववा लाग्यो // 18 // M. श्रोशजययात्रातो, निवृत्तः कोऽपि बाडवः / पत्नी-पुत्रयुतस्तत्र, रात्रौ ग्रामे समेतवान // 12 // 6 अर्थ-एक दिवसे श्रीशनंजय तीर्थनी यात्रा करी पाछो फरेलो कोइ ब्राह्मण पोतानी स्त्री अने पुत्र सहित ते मुरस्थल गाममांरात्रे आव्यो 1824 4G Jun Gun Aaradhal Gunratnasun M.S.

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