Book Title: Nabhak Raj Charitram Prat
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 27
________________ चरित्रं // 26 // | अर्थ-त्यार पछी सुकृत संभळावनार जो मानेलं सुकृत पाछळथी करतो ते माणस पोताना देवामांथी छुटे छे, अने पोते पण पुनाभाका ण्यनो भागी बने छे, पण जो न करे तो तेथी विपरीत फळ पामे छे // 98 // अश्रावितोऽपि श्रद्धत्ते, सुकृतं यः क्वचिद्गतौ। जानन् ज्ञानादिभावेन, सोऽपि तत्पलमाप्नुयात् // 19 // // 26 // अर्थ-जे प्राणीने सुकृत संभळाव्युं न होय, तो पण जो ते स्वयमेव सुकृतनी श्रद्धा करे, अने पछीकोइ पण गतिमां ज्ञानादि भा- 13 वथी जाणे तो ते पण ते मुकृतनुं फळ प्राप्त करे छे // 99 // अन्यथा सुकृतं तन्वन्, स्वजनः स्वजनाख्यया / व्यवहारप्रीतिभक्ति-रेव ज्ञापयति ध्रुवम् // 10 // है अर्थ-जे कुटुम्बीए. पोताना कुटुम्बीना अंतकाळे जे सुकृत संभळाव्यु न होय ते सुकृत पाछळ्थी पोताना कुटुम्बीना नामे करे तोट ID ते खरेखर व्यवहार साचवे छे, अने मरनार उपरनी पोतानी मीति अने भक्तिज जणावे छे // 10 // ." अथ तस्मिस्तिरोभृते, व्यन्तरे क्षोणिनायकः / साक्षात् पुण्यफलं दृष्ट्वा-ऽभवत्तत्रैव सादरः // 10 // अर्थ-हवे ते व्यन्तर देव अदृश्य थइ गया पछी, राजासमुद्रपाल पुण्यनुभत्यक्ष फळ देखी पुण्योपार्जन करवामांज आदरयुक्त थयो. // 10 // . बुद्धि बन्धोरपि श्रेयो-विषये काक्षताऽन्यदा। तामलिप्त्यां तदाहति-हेतोःप्रेशोन्निजोनरः // 10 // अर्थ-पोताना लघु बांधव सिंहे जो के पोतार्नु अनिष्ट करेलु हतुं, छतां 'कोइ पण रीते तेनुं श्रेय थायतो सारं' एम विचारी तेनु / कल्याण करवानी बुद्धिथी सज्जन स्वभावनी समुद्रपाले एक दिवस तामलिप्ती नगरीमांतेने बोलाववामाटे पोताना विश्वासुमाणसने मोकल्यो। R AC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Auradha CASHTRASA

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