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मुंहता नैणसीरी ख्यात
१० आसकरन ।
. १० मोहणसिंघ । सगर जीवतां मूंवो। .. • १० वैरीसाल। .... १० रुघनाथदास
१० मदनसिंघ । पेट मार मुंवौ' । ., १० हरीरांम । राजा रायसिंघजीरो चाकर रह्यो छौ ।
१० फतैसिंघ । १०. जगतसिंघ । गोड़ वीठलदासरै काम आयो । ९ अगर । राणा उदैसिंघरो। पातसाही चाकर थो । ९ जसवंत । जोधपुर वास वसीयो। गांव १२ सू सोझतरो सिणलो दीयो । पछै संवत १६७३ छाडीयो । ब्राहनपुर मोहबतखांनरै रह्यो । संमत १६९० वळे रावळे वसीयो' ।
धोळहरो गांव १२ तूं दीयो हुतो । पछै मोहबतखांन कह्यो, ... मत राखो। तद सीख दीवी।
९ सबलसिंघ । जोधपुर संमत १६७९ वास वसीयो । - गांव ४ जालोररा कुरड़ा । दीया । ...... दीवी दस । . १० सबलसिंघ । ९ कल्याणदास । .: ९ साह । रांणा उदयसिंघरो।
१० दुरजनसिंघ । राजा जैसिंघरो मांमो। . १० माधोसिंघ । मुथरादास । १० पंचाइण । राणा उदैसिंघरो। ९ किसनसिंघ ।
९ बलू । चूंडावतां वैरमें मारीयो । 1 पेटमें कटारी मार कर मर गया। 2 बीकानेरके राजा रायसिंघके यहाँ नौकर रहा था। 3 जोधपुरमें आकर रह गया । 4 जोधपुरके महाराजा सूरसिंघने उसे बारह. . . गांगोंके साथ सोजत परगनेमें सिणला गांव जागीरमें दिया। 5 मारवाड़ छोड़ दिया। 6 बुरहानपुर जा कर मोहबतखानके यहां नौकर रहा । 7/8 सं० १६६० में पुनः जोधपुर मा कर बस गया, तब उसे, १२ गांवोंके साथ धोलेरा गांव जागीर में दिया था। 9 घासके निमित्त जो गांव थे उनमेंसे चार उसे दिये । 10 चुंडावतोंने वैरका बदला लेनेके. लिये उसे मारा।