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मुंहता नैणसिरी ख्यात पातसाहजीर कीनी । आधो सिरोही राव न दीनी । तिको आधरो वंट- पातसाह जगमालनू दीनो। जगमाल तालिको ले आयो । राव आध परो दीयो' । जगमालन विजो आय मिळीयो । विज भखायो । कह्यो - सुरताँण कुण ? तू राणा साँगारो पोतो, मानसिंघरो जमाई। सारी सिरोही उरी काय न ले ? पछै एक दो दाव घाव मोहलाँ' ऊपर कीया। पाघरै ऊपर वया । तरै जगमाल खिसांणो पड़ वळे दरगाह गयो'। फरीयाद करी 10 | पछै पातसाह जगमालरी मदत राव चन्द्रसेनरा बेटानू सोझत दे, रावाई। दे, रायसिंघनू, सिंघ कोळीनू मदत मेलीया।। पछै औ4 सीरोही आया। तरै सुरतांण राव सहर छोड़ भाखरां पैठो 15 । पछै औ पिण उठी गयां पछै संवत् १६४० रा दतांणी डेरां ऊपर आया । वेढ़ हुई । जगमाल,
रायसिंघ, सिंघ कोळी तीनों काम आया । संमत १६११ रा असाढ · वदि ५ रिववाररो जनम ।
रामसिंघ जगमालरो। स्यामसिंघ । (१० मनोहर)। रूपसिंघ, देवीदास जैतावतरो दोहोतो। रुद्रसिंघ। .
राँणो सगर उदैसिंघरो, जगमालरो सगो7 भाई। सु जगमालन राव सुरतांण मारीयो । तरै सगर जांणीयो म्हे तो दीवांणरै। अन छां, पिण दीवांण छोटा ही गोतीरो ऊपर करै छै।', तो . 1 उस । 2 भाग 1 3 जगमाल जागीरीका प्रमाणपत्र (पट्टा) ले आया। 4 रावने आधा भाग दे दिया। 5 विजैने जगमालको भरमाया । 6 समस्त सिरोहीका राज्य क्यों नहीं ले लेता है ? 7, 8 पीछे एक दो बार अवसर देख महलोंमें जा कर जगमालने सुरताणके ऊपर प्रहार किये, किन्तु वे पघडीके ऊपर लगे। 9 तव जगमाल लज्जित हो कर फिर बादशाहके दरवारमें पहुँचा । 10 पुकार की। 11 राव पदवी दे कर । 12 सिंघ - नामके कोली राजपूतको । 13 भेजे । 14 ये। 15 पहाड़ोंमें घुस गया । 16 जैताका पुत्र । 17 सहोदर भाई। 18 मेवाड़ राज्यके अधीश्वर इकलिंग महादेव माने जाते हैं और राना अपनेको उनके महामन्त्री-'दीवान' मानते हैं । 19 अति समीप कुटुम्बके और मुख्य हैं।