Book Title: Mulshuddhi Prakaranam Part 02
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Amrutlal Bhojak
Publisher: Shrutnidhi

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Page 303
________________ २९२ मूलशुद्धिप्रकरणम्-द्वितीयो भागः वलिऊणं खेमेणं पत्ता सव्वे वि कूववंदम्मि । सो वि महेसरदत्तो अक्खइ सयणाण रोवंतो ॥१०॥ जह 'मह दइया खद्धा रक्खसदीवम्मि घोररक्रोण' । .. ते वि तओ दुक्खत्ता कुणंति तीसे मयगकिच्चं ॥१०२॥ परिणाविओ य एसो अण्णं कुलबालियं अइसुरूवं । तीए य बद्धनेहो भुंजइ भोगे अणण्णसमे ॥१०३॥ एत्तो य नम्मयासुंदरी वि जा उट्ठिया खणद्धेण । तो न हु पिच्छइ कंतं तत्थ तओ चिंतए एवं ॥१०४॥ नूणं परिहासेणं ल्हिक्को नणु होहिई महंदइओ' । वाहरइ तओ "पिययम ! देसु महं दंसणं सिग्धं ॥१०५।। मा कुण बहु परिहासं बाढं उत्तम्मए महं हिययं" । जा एइ न एवं पि हु सासंका उट्ठिउं ताव ॥१०६॥ परिमग्गइ सव्वत्तो तह वि अपिच्छंतिया सरे जाइ । भमइ य वणविवरेसु कुणमाणी बहुविहे सद्दे ॥१०७।। 'हा नाह ! ममं मोत्तुं, दुहियमणाहं कहिं गओ इण्हि ?' | सोऊणं पडिसदं, धावइ तो तम्मुही बाला ॥१८॥ विज्झंती खाइरकंटएहिं पाएसु गलियरुहिरोहा । गिरिविवरे भमिऊणं पुणो वि सा जाइ लेयहरए ॥१०९॥ एत्थंतरम्मि सूरो दट्ठणं तीए तारिसमवत्थं । पडिकाउं अचयंतो लज्जाए व दूरमोसरिओ ॥११०।। अत्थगिरीए सूरो ल्हसिउं अवरोयहिम्मि निब्बुडो । अहवा अत्थमइ च्चिय सूरो पडिकाउमचयंतो ॥१११।। एत्थंतरम्मि तो सा तत्थेव लयाहरम्मि परिखिन्ना । सोगत्ता बीहंती नुवज्जए पल्लवत्थरणे ॥११२॥ उत्थरइ य हिमनियरो सव्वत्थोवहयलोयणप्पसरो । अहव पसरंति मलिणा परितुट्ठा मित्तनासम्मि ॥११३॥ १. सं.वा.सु. लुक्को ॥ २. ला. लइह ॥

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