Book Title: Mulshuddhi Prakaranam Part 02
Author(s): Dharmdhurandharsuri, Amrutlal Bhojak
Publisher: Shrutnidhi

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Page 323
________________ ३१२ मूलशुद्धिप्रकरणम्-द्वितीयो भागः जइया तुह मेलावो होही तइया य चंपओ एसो । फुल्लिहिइ दुवारत्थो' इय भणिऊणं गया देवी ॥११०॥ वितयं सव्वं हायकालम्मि मंतिणोसिद्धं । सो जंपइ "जइ एवं सिंचिज्जउ तो इमो सययं ॥ १११ ॥ फुल्लइ जेण अयाले" पडिवन्ने तम्मि नरवरिंदेण । विहिओ रज्जभिसेओ एवं सो भुंजए रज्जं ॥ ११२ ॥ तो ते वि कुमारा दो वि हु विलवंति जो खणं एक्कं । ताव तहिं गोवाला पत्ता पुच्छंति लहुकुमरं ॥११३॥ जा सो किंपि न जंपइ ता इयरं आणिऊण पुच्छंति । तेण वि सिट्टं 'जणओ अम्हाण नईए नणु हरिओ' ॥११४॥ तेहिं वि करुणाइ तओ नेउं गोट्ठम्मि अप्पिया दो वि । धणसेणा नियमयहरीए बहुरिद्धिजुत्ता ॥ ११५ ॥ पुरहियाए तीए वि पुत्ते पडिवज्जिऊण नियगोट्टं । मेलेऊणं भणियं सव्वस्स वि सामिया एए' ॥ ११६ ॥ विहियाई नामाई दोणि वि नणु राम-लक्खणा एए । एवं सुहेण ते विहु दोण्णि वि चिट्ठति रममाणा ॥ ११७ ॥ अह अन्नया कयाई धणसेणा गिव्हिऊण ते कुमरे । रायस्स दंसणत्थं वच्चइ अह परमिणीखेडे ॥११८॥ ते दट्ठूणं राया कुमरे रोमंचकंचुइज्जं । चितइ जइ जीवंती तो पुत्ता मज्झ नणु एए ॥११९॥ तो भणिया धणसेणा " भद्दे ! तुह पुत्तया इमे दो वि । जणयंति मज्झ चित्तस्स निव्वुइं तेण एत्थेव ॥ १२०॥ चिट्ठ पुत्तेहिं समं मह गेहे चेव निव्वियारेण" । सा वि तयं पडिवज्जिय चिट्ठइ हिट्ठा नरिंदघरे ॥ १२१ ॥ कुमरो वि निवं दद्धुं एवं चिंतेइ 'मज्झ जणयस्स । अणुहर इमो या ता अम्हं जणयतुल्लो त्ति ॥ १२२॥ १. ला. जेणायाले ॥ २. ला. जाव खणमेकं ॥ ३. ला. किंचि ॥ ४. ला. नियमेहरीए ॥

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