Book Title: Mulachar Purvardha
Author(s): Vattkeracharya, Gyanmati Mataji
Publisher: Bharatiya Gyanpith

Previous | Next

Page 9
________________ उत्तम एवं प्रामाणिक टीका है। माकचन्द दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला से भी मूलाचार का उक्त टीका सहित हो संस्करण प्रकाशित हुआ था जो बहुत वर्षों से अप्राप्य है । अतएव उक्त आचारवृत्ति से समन्वित मूलाचार के भाषानुवाद सहित एक उत्तम संस्करण के प्रकाशन की आवश्यकता विद्वज्जगत् में अनुभव की जा रही थी। स्व० डॉ० उपाध्ये ने उसका वैज्ञानिक पद्धति से सुसम्पादित संस्करण तैयार करने की ओर सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र जी शास्त्री का ध्यान आकर्षित किया था। पंडितजी ने भी उसका भाषानुवाद एवं भाषा टीका लिखने की स्वीकृति भी दे दी थी, किन्तु डॉ० उपाध्ये के असमय निधन के कारण वह योजना स्थगित हो गयी। हमें प्रसन्नता है कि विदुषी आर्यिकारत्नश्री ज्ञानमती माताजी ने वृत्ति-समन्वित मूलाचार का भाषानुवाद बड़े उत्साह एवं परिश्रम पूर्वक सरल सुबोध शैली में किया है। डॉ० पं० पन्नालाल जी साहित्याचार्य ने उक्त अनुवाद की भाषा का यथोचित अध्ययन किया है और श्री पं. कैलाशचन्द्र जी शास्त्री एवं श्री पं० जगन्मोहनलालजी शास्त्री जैसे प्रौढ शास्त्रजों ने पाण्डुलिपि को आद्योपान्त पढ़कर अपने अमल्य सुझाव दिये हैं जिनका उपयोग इस संस्करण में कर लिया गया है। आर्यिका माताजी को अनेकशः साधुवाद है तथा पण्डित त्रय अपने महत् योगदान के लिए साधुवाद के पात्र हैं । साहित्य एवं संस्कृति के अनन्यप्रेमी स्व० साह शान्तिप्रसादजी एवं स्व. श्रीमती रमारानीजी की उदार दानशीलता द्वारा संस्थापित भारतीय ज्ञानपीठ के वर्तमान अध्यक्ष श्री साह श्रेयांसप्रसादजी तथा मैनेजिंग ट्रस्टी श्री साहू अशोक कुमारजी ने इस ग्रन्थ के प्रकाशन की स्वीकृति प्रदान करके, तथा ज्ञानपीठ के पूर्व निदेशक (वर्तमान में सलाहकार) श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन एवं प्रकाशनाधिकारी डॉ. गुलाबचन्द्र जैन ने ग्रन्थ के मुद्रण-प्रकाशन का सुचारु रूप से कार्यान्वयन कराके विद्वज्जगत् और स्वाध्याय-प्रेमियों पर अनुग्रह किया है। ६ अप्रैल, १९८४ -ज्योति प्रसाद जैन प्रधान सम्पादकीय/७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 580