Book Title: Mokshshastra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Pannalal Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 12
________________ विषय अध्याय सूत्र | ४६ [११] विषय अध्याय सूत्र गुणस्थानोंकी अपेक्षा | पात्रकी अपेक्षापरिषहोंका वर्णन ९१०-१२ निर्जरामें न्यूनाधिकता ९ ४५ परिषहोंमें निमित्त ९१३-१६ निग्रंथ साधुओंके भेद एकसाथ होनेवाले पुलकादिकी विशेषता ९ ४७ ___परिग्रहोंकी संख्या ९ १७/ प्रश्नावली नवम अध्याय ।। पांच चरित्र १८ केवलज्ञानकी उत्पत्तिकाबाह्य तपके भेद ९ १९ कारण १० १ अन्तरंग तपके भेद २० मोक्षका लक्षण १० २ अन्तरंग तपके उत्तर भेद ९ २२ मोक्षमें कर्मोके सिवायप्रायश्चितके ९ भेद २२ किसका अभाव १० ३-४ विनयके ४ भेद २३ कर्मोका क्षय होनेकेवैयावृत्यके दस भेद २४ बाद ऊर्ध्वगमन १० ५ स्वाध्यायके ५ भेद २५ ऊर्ध्वगमनके कारण व्युत्सर्ग तपके दो भेद २६ उक्त चारों कारणोंकेध्यानका लक्षण २७ क्रमसे दृष्टांत १० ध्यानके भेद २८ लोकाग्रके आगे नहींध्यानका फल २९ जानेमें कारण १० ८ आर्तध्यानके ४ भेद ९३०-३३ मुक्त जीवोंके भेद आर्तध्यानके स्वामी ३४ अन्तिम श्लोक पृष्ट २०४ रौद्रध्यानके भेद ९ ३५ प्रश्नावली- दशम अध्याय । धर्म्यध्यानका स्वरूप ९ ३६ शंका-समाधान पृष्ट १८६ शुक्लध्यानका वर्णन ९३७-४४ लक्षण-संग्रह पृष्ट २३४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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