Book Title: Mokshshastra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Pannalal Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 11
________________ [१०] विषय अध्याय सूत्र विषय अध्याय सूत्र व्रतोंकी विशेषता १८ ज्ञानावरणके पांचभेद व्रतोंके भेद लक्षण १९ दर्शनावरणके ९ भेद अगारीका लक्षण २० वेदनीयके २ भेद सात शीलव्रत २१ मोहनीयके २८ भेद सल्लेखनाका उपदेश ७ २२ आयुकर्मके ४ भेद ८ १० सम्यग्दर्शनके अतिचार २३ नामकर्मके ४२ भेद पांचव्रत और सात शीलोंके गोत्रकर्मके २ भेद ८ १२ अतिचारोंकी संख्या ७ २४ अन्तरायके ५ भेद अहिंसाणुव्रत अतिचार ७ २५ ज्ञाना०, दर्शना०,-वेदनीयसत्याणुव्रतके अतिचार ७ २६/ अन्तरायकी स्थिति अचौर्याणुव्रतके अतिचार ७ । २७ नाम और गोत्रकी स्थिति ८ ब्रह्मचर्याणवतके अतिचार ७ २८ आयु कर्मकी परिग्रहपरिमाणाणुव्रतके वेदनीयकी जघन्य स्थिति ८ १७ अतिचार ७ २९ नाम और गोत्रकी ज. स्थिति ८ १९ दिग्व्रतके अतिचार ७ ३० शेष कर्मोकी स्थिति ८ २० सामायिक शिक्षाव्रतके अनुभव बंधका लक्षण अतिचार ७ ३३ फलके बाद निर्जरा ८ २३ प्रोषधोपवासके अतिचार ७ ३४ प्रदेशबन्ध । ८ २४ उपभोगपरिभोगपरिमाण- पुण्यप्रकृतियां ८ २५ व्रतके अतिचार ७ ३५ पापप्रकृतियां अतिथिसंविभाग अतिचार ७ ३६ सल्लेखना अतिचार ७ ३७/ प्रभावला अष्टम ॐ प्रश्नावली अष्टम अध्याय । दानका लक्षण १० संवरका लक्षण दानकी विशेषता संवरके कारण प्रश्रावली सप्तम अध्याय। गप्तिका लक्षण बन्धके कारण १समितिके भेद बन्धका स्वरूप २ धर्मके भेद बन्धके भेद ३ अनुप्रेक्षाओंके भेद प्रकृति बन्धके मूलभेद ४ परिग्रह सहन उपदेश प्रकृति बन्धके उत्तरभेद ८ ५'बाईस परिषह Gns in Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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