Book Title: Mokshshastra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Pannalal Jain
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 10
________________ [९] विषय अध्याय सूत्र विषय अध्याय सूत्र नित्यका लक्षण ५ ३१ सब आयुओंकाएक ही द्रव्य में विरुद्ध - सामान्य आस्रव ६ १९ धर्मोका संबन्ध ५ ३२ देव आयुका आस्रव ६ २०-२१ परमाणुओंमें बन्ध ५३३-३७ अशुभनाम कर्मका आस्रव ६ २२ द्रव्यका प्रकारांतरसे लक्षण ५ ३८ शुभ नामकर्मका आस्रव ६ २३ कालद्रव्यका वर्णन ५३९-४० तीर्थङ्कर नामकर्मका आस्रव ६ गुणका लक्षण ५ ४१ नीचगोत्रका आस्रव पर्यायका लक्षण ५ ४२ उच्चगोत्रका आस्रव अन्तरायका आस्त्रव प्रश्रावली- पंचम अध्याय। प्रश्रावली षष्ठ अध्याय। योगके भेद व स्वरूप ६ १व्रतका लक्षण आस्रवका स्वरूप ६ व्रतके भेद आस्त्रवके भेद ३व्रतोंकी स्थिति स्वामीकी अपेक्षा अहिंसाव्रतकी पांच भावनाएं आस्रवके भेद ६ ४सत्यव्रतकी भावनाएं साम्परायिक आस्रवके भेद ६ ५ अचौर्य व्रतकी भावनाएं ७ आस्त्रवकी विशेषता ६ ब्रह्मचर्य व्रतकी भावनाएं ७ अधिकरणके भेद ६ ७ परिग्रह त्यागकी भावनाएं ७ जीवाधिकरणके भेद ८ हिंसादि पांच पापोंकेअजीवाधिकरणके भेद ६ विषयमें विचार ७ ९-१० ज्ञानावरण और दर्शना निरन्तर चिन्तवन करनेवरणके आस्त्रव ६ १० योग्य भावनाएं ७ ११ असातावेदनीयके आस्रव ६ ११ संसार और शरीरकेसातावेदनीयके आस्रव ६ १२] स्वरूपका विचार ७ दर्शनमोहनीय आस्रव ६ १३ हिंसा पापका लक्षण चारित्र मोहनीयके आस्रव ६ १४ झूठ पापका लक्षण ७ १४ नरक आयुका आस्रव ६ १५ चोरी पापका लक्षण तिर्यंच आयुका आस्रव ६ १६ कुशीलका लक्षण मनुष्य आयुका आस्रव ६ १७-१८ परिग्रहका लक्षण ७ १७ གྱ གྲ གྱི གྱ་ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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