Book Title: Mokshshastra Author(s): Umaswati, Umaswami, Pannalal Jain Publisher: Digambar Jain Pustakalay View full book textPage 9
________________ वास [८] विषय अध्याय सूत्र . विषय अध्याय सूत्र धातकीखण्डका वर्णन ३ ३३ वैमानिक देवोंमें लेश्याकापुष्कारार्धका वर्णन ३४ वर्णन ४ २२ मनुष्य क्षेत्र ३५ कल्पसंज्ञा कहां तक? ४ २३ मनुष्यों के भेद ३६ लौकांतिक देवोंका निवासकर्मभूमिका वर्णन ३७ और नाम ४ २४-२५ मनुष्यों को उत्कृष्ट और अनुदिश तथा अनुत्तरजघन्य स्थिति ३ ३८ वासी देवोंके नियम ४ तिर्यञ्चकी उत्कृष्ट स्थिति ३ ३९ तिर्यच कौन हैं ? भवनवासी देवीकीप्रश्नावलि- तृतीय अध्याय । उत्कृष्ट आयु ४ २८ देवोंके भेद ४ १/वैमानिक देवोंकी आयु ४ २९-३२ भवनत्रिक देवोंमें लेश्याका- स्वर्गोमें जघन्य आयु ४३३-३४ विभाग ४ २ नारकियोंकी आयु ४३५-३६ चार निकायोंके प्रभेद ४ ३ भवनवासियों की आयु ४ ३७ देवोंमें सामान्य भेद ४ ४-५ व्यन्तरोंकी जघन्य आयु ४ ३८ देवोंके इन्द्रोकी व्यवस्था ४ ६ व्यन्तरोंकी उत्कृष्ट आयु ४ ३९ देवोंमें स्त्री सुखका वर्णन ४ ७-९ ज्योतिषियोंकी उत्कृष्ट आयु ४ ४० भवनवासीके १० भेद ४ १० ज्योतिषियोंको जघन्य आयु ४ ४१ व्यन्तर देवोंके ८ भेद ४ ११ लोकांतिक देवोंकी आयु ४ ४२ ज्योतिषी देवोंके ५ भेद १२ | प्रश्नावली- चतुर्थ अध्याय। ज्योतिषी देवोंके वर्णन वैमानिक देवोंका वर्णन अजीवास्तिकाय वैमानिक देवोंके भेद द्रव्यों की गणना ५२-३-३९ कल्पोंका स्थितिक्रम द्रव्यों की विशेषता ५ ४-७ स्वर्ग आदिके नाम द्रव्योंके प्रदेश वर्णन ५ ८-११ ग्रैवेयक और अनुदिश ४ द्रव्योंके उपकार वर्णन ५ १७-२२ वैमानिक देवोंमें उत्तरोत्तर पुद्गलकी पर्याय ५ २४ अधिकता ४ २० पुद्गलका उत्पात्तक कारण ५ २६ २८ वैमानिक देवोंमें उत्तरोत्तर- द्रव्यका लक्षण हीनता ४ २१ सत्का लक्षण < * * * < < < < १९टि. ५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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