Book Title: Mokshshastra Author(s): Umaswati, Umaswami, Pannalal Jain Publisher: Digambar Jain Pustakalay View full book textPage 7
________________ roo विषय-सूची | विषय अध्याय सूत्र विषय अध्याय) सूत्र 'मोक्षकी प्राप्तिका उपाय १ १ मनःपर्यय ज्ञानका विषय १ २८ सम्यग्दर्शनका लक्षण १ २ केवलज्ञानका विषय १ २९ सम्यग्दर्शनके भेद १ ३ एकसाथ कितने ज्ञानसात तत्व ४ हो सकते हैं ? १ चार निक्षेप ५|मति श्रुति और अवधिज्ञानमेंसम्यग्दर्शन आदिके मिथ्यापन १ ३१ जाननेके उपाय १-६ ८ मिथ्याद्दष्टिका ज्ञानसम्यग्दर्शनके भेद व नाम १ ९ मिथ्याज्ञान है १ ३२ प्रमाणका स्वरुप १ १० नयोंके भेद परोक्ष प्रमाण प्रत्यक्ष प्रमाण प्रश्नावली- प्रथम अध्याय । मतिज्ञानके दूसरे नाम १ १३ जीवके असाधारण भाव २ १ मतिज्ञानकी उत्पति, औपशमिकादि भावोंके कारण व स्वरुप १ १४ भेदोंकी गणना २ मतिज्ञानके भेद १ १५ औपशमिकादि भावके भेद २ अवग्रहके विषयभू पदार्थ १ १६ क्षायिक भावके भेद २ बहुआदि पदार्थके भेद १ १७/क्षायोपशमिक के भेद २ अवग्रहमें विशेषता ११८-१९ औदयिक भावके भेद श्रुतज्ञानकी उत्पति, भेद १ २० पारिणामिक भावके भेद भवप्रत्यय अवधिज्ञानकेस्वामी१ २१ जीवका लक्षण क्षयोपशम निमित्तक उपयोगके भेद __ अवधिज्ञानके भेद १ २२ | जीवके भेद मनःपर्यय ज्ञानके भेद १ २३ संसारी जीवोंके भेद ऋजुमति और विपुलमतिमें संसार जीवोंके भेद २ १२ विशेषता १ २४ स्थावर जीवोंके भेद २ १३ अवधि और मनःपर्यय त्रस जीवोंके भेद ज्ञानमें विशेषता १ २५ इन्द्रियोंकी गणना मतिश्रुतज्ञानका विषय १ २६ इन्द्रियोंके मूल भेद अवधिज्ञानका विषय १ २७|द्रव्येन्द्रियका स्वरुप २ १७ x mm » 9 1 2222 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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