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शासनप्रभावक आचार्य श्रीजिनानंदसागरसूरि
[ले०-- मुनि महोदयसागर]
इस संसार की सपाटी पर अनेकों जन्मे और अनेकों केशरदेवी की रत्नकुक्षी से आपका जन्म हुआ। आपका मर गये, किन्तु अमर कौन है ? जो व्यक्ति धर्म, राष्ट्र नाम यादवसिंहजी रखा गया। एवं समाज के हित के लिये शहीद हो गये, वे मर कर भी सैलाना में मुसद्दी कोठारो खानदान, सर्वश्रेष्ठ, धर्मआज संसार में अमर हैं ।
शील, सुसंस्कार युक्त एवं राजखानदान में भी सम्माननीय जिन्होंने अपना पूरा जीवन जगत को भलाई में माना जाता है। आपकी तेजस्वी मुख मुद्रा, व सुन्दर बिताया, सेवा करते समर्पित हो गये, वे देह रूप से भले लक्षण युक्त शरीर, भावि में होनहार की निशानी थी। विद्यमान न हों किन्तु कार्य से वे सदा के लिये अमर हैं। व्यवहारिक शिक्षा आपश्री ने बाल्य अवस्था में प्राप्त
पृथ्वी को 'बहुरत्ना' का पद दिया गया है। इस करली थी। पृथ्वी पर अनेक संत, महंत, पीर पैगम्बर हो गये सभी स्व० प्रवत्तिनीजी श्री ज्ञानश्रीजी का चातुर्मास ने जगत को शान्ति का मार्ग दिखाया, परस्पर मैत्री भाव सैलाना में हुआ। बचपन से ही आप में धार्मिक सुसंस्कार का उपदेश दिया। संसार भो ऐसे ही महापुरुषों की के कारण आप साध्वीजी के प्रवचन में जाया करते थे, अर्चना करता है। उन्हीं महापुरुषों के गुणों को याद समय समय पर आप उनसे धार्मिक चर्चा, शंका-समाधान कर, उनके पथ के अनुगामी बनकर जगत उनके उपकारों किया करते थे। चातुर्मास समय में आपने सत्संग का को कभी नहीं भूलता। उन्हीं महानुभावों की तो जयं- अच्छा लाभ लिया। उसके फलस्वरूप त्यागमय जीवन पर तियां मनाई जाती है। सभी धर्म व सभी सम्प्रदायों आपका अच्छा आकर्षण रहा। में महापुरुष उत्पन्न हुये हैं। सदा से कड़ी से कड़ी जुड़तो विक्रम सं० १९६८ वैशाख शुदी १२ बुधवार के शुभ आई है, ज्योत से ज्योत जलती आ रही है ।
दिन रतलाम नगर में चारित्र-रत्न, पूज्यपाद, गणाधीश्वर उन्हीं महापुरुषों में से है-हमारे परमपूज्य, परम जो श्रीमद् त्रैलोक्यसागर जी म. सा. के करकमलों से उपकारी, परम-आदरणीय, प्रखर-वक्ता, आगम - ज्ञाता, २२ वर्ष की युवावस्था में आपने संयम स्वीकार किया। शासन-प्रभावक आचार्यदेव श्री १००८ वीरपुत्र श्रीजिन शासनरागी, दीवान-बहादुर, सेठ केशरीसिंहजी सा. आनन्दसागरसूरीश्वरजी म. सा० हैं। आपकी संक्षिप्त बाफना ने दीक्षा महोत्सव धाम धूम से किया। जीवनी लिखकर मैं अपने को कृतार्थ समझता हूं।
विनयादि श्रेष्ठ गुण, गुरुभक्ति, एक निष्ठ सेवा, आदि भारत भूमि के मालवा प्रांत में सैलाना नगर में गुणों से तथा जन्म से तीन स्मरणशक्ति वाले होने के विक्रम सं० १९४६ आषाढ़ शुक्ल १२ सोमवार कोठारी कारण कुछ ही समय में आपने शास्त्रों की गहन शिक्षा खानदान में श्रेष्ठिवर्य श्री तेजकरण जो सा० की भार्या प्राप्त कर ली। अंग्रेजी भाषा के साथ हिन्दो पर भी
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