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[ १३३ । चरित नायक-और संघ के किसी मताभिनिवेशी मेनेजर के हटाया हुआ 'श्रीखरतर हमारे चरितनायक के पवित्र उपदेश से प्रेरित हो कई वसही' नाम का साइन बोर्ड उसी पेढ़ी के जरिये वापिस भव्यात्माओं ने तारणहार तीर्थों की यात्रा के लिये छरी- लगवाया। वही श्रीखरतर गच्छ की बिखरी हुई शक्तिकों पालक बड़े-बड़े संघ निकाले हैं। उनमें श्रीजेसलमेर महा- संगठित करने के लिये श्रीखरतरगच्छ संघ सम्मेलन का वृहद् तीर्थ के लिए फलोदी से पहली वार सेठ सहसमलजी आयोजन करवाया। बीकानेर में श्रीक्षमाकल्याणजी के गोलेछा द्वारा, और दूसरी बार सेठ सुगनमलजी गोलेछा और जयपुर में पंचायती के प्राचीन हस्तलिखित जैनज्ञान की धर्मपत्नी श्रीमती राधाबाई द्वारा, श्रीबारेजा पार्श्व- भण्डार का जीर्णोद्धार करवाया। कई तीर्थो के-मूर्तियों नाथ तीर्थ के लिये मांगरोल से पहली बार सेठ जमनादास के प्राचीन शिलालेखों का, प्रभावक आचार्यों की कई मोरारजी द्वारा और दूसरी बार सेठ मकनजी कानजी प्राचीन पट्टावलियों का, और पुण्य प्रशस्तियों का वृहत् द्वारा, श्रीअंजारा पार्श्वनाथ तीर्थ के लिये वेरावलसे खरतर- संग्रह आपने तैयार किया है। गच्छ पंचायती द्वारा, तालध्वज महातीर्थ के लिये श्रीपा- चरित नायक और साहित्यिक लीताना से आहोर निवासी सेठ चन्दनमल छोगाजी द्वारा,
प्रवृत्ति तीर्थाधिराज श्रीसिद्धाचलजी के लिए अहमदाबाद से सेठ हमारे चरितनायक श्री उववाई सूत्र का सटीक हिन्दी डाह्याभाई द्वारा और देहली से श्री हस्तीनापुर महातीर्थ अनुवाद दादागुरु श्री जिनदत्तसूरिजी महाराज की ऐतिके लिये लाला चांदमलजो घेवरिया की धर्मपत्नी श्रीमती सिक पूजा, महातपस्वी श्री छगनसागर जी महाराज का कपूरीदेवी द्वारा आदि २ छरो-पालते हुए बड़े-बड़े संघ दिव्य जीवनवृत्त, हरि-विलास स्तवनावली के दो भाग, विशेष उल्लेख योग्य हुए हैं।
आदि कई ग्रन्थों का नव सर्जन किया है। लोहावट से चरित नायक और संस्थाएं प्रकाशित होनेवाले श्री सुखसागर ज्ञान बिन्दु जिनकी संख्या
हमारे चरितनायक के अमोघ उपदेश से कई शहरों इस समय ५० है-आपकी साहित्यक भावना का मधुर में शिक्षालय, पुस्तकालय, मित्रमण्डल आदि कई संस्थाए फल है। इन्हीं ज्ञान बिन्दुओं से सुप्रसिद्ध इतिहास लेखक स्थापित हुई हैं ! पालीताना में श्रीजिनदत्तसूरि ब्रह्मचर्याश्रम पं० लालचन्द भगवानदास गाँधी द्वारा लिखित श्रीजिनप्रभजामनगर में श्रीखरतरगच्छ ज्ञानमन्दिर-जैनशाला, लोहावट सूरिजी म० का ऐतिहासिक जीवनचरित्र, जयानन्द-केवली में जैनमित्रमण्डल, श्रीहरिसागर जैनपुस्तकालय, कलकत्ते में चरित्र,भाव प्रकरण, संबोध-सत्तरी आदि महत्वपूर्ण साहित्य श्रीश्वेताम्बर जैन सेवासंघ-विद्यालय, बालुचर ( मुर्शि- ग्रन्थों का प्रकाशन हुआ है। श्री हिन्दी जैनागम-सुमति दाबाद) में श्रीहरिसागर जैन ज्ञानमन्दिर-जैन पाठशाला प्रकाशन कार्यालय कोटा से प्रकाशित होनेवाले-जैनागम आदि विशिष्ट संस्थाएँ समाजसेवा और जैन संस्कृति का साहित्य के लिये आप श्री के सदुपदेश से भागलपुर के रहीस प्रचार कर रही हैं।
रायबहादुर सुखराजजी ने, उनके सुपुत्र बाबू रायकुमार चरित नायक और पुरातत्वरक्षा सिंह जी ने अजोमगंज के राजा विजयसिंह जो की माता
हमारे चरित नायक ने श्रीसिद्धाचल तीर्थाधिराज पर श्री सुगनकुमारीजी ने-और कई श्रीमानों ने काफी 'खरतर वसही' के प्राचीन इतिहास की सुरक्षा के निमित्त सहायता पहुँचाई है। आपकी अमूल्य-साहित्यक सम्मति प्रवण्ड आन्दोलन करके श्रीआनन्दजी कल्याणजी की पेढ़ी का स्व. बाबू पूराण वन्दजी नाहर M. A. B.L.
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