Book Title: Manidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Smruti Granth
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Manidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Samaroh Samiti New Delhi
View full book text
________________
मु.
१४वीं
। २३ । ५२ नलवर्णनमहाकाव्य विनयसागर P). सुमतिकलश पिपलक १७वीं उल्लेख-स्वकृत अविदपदशतार्थी ५३ नीतिशतकम् धनराज S/. देहड १४६० मंडपदुर्ग मु० ५४ नीतिशतक भाषा (भर्तृहरि) नैनसिंह P7. जशशील १७८६ बीकानेर १० ५५ नेमिनाथ महाकाव्य कीर्तिरत्नसूरि
१४६५ ५६ नेमिदूतम् विक्रम P/. सांगण
मु० विनय ७५६, ७९६, ५७ , टोका गुणविनय P/. जयसोम १६४४
म० खजांची बी० स्वयं लि. वि० ५३२ ५८ नेमिसन्देशकाव्य हंसप्रमोद P/. हर्षचन्द १७वीं अ० दिगंबर भंडार अजमेर ५६ नैषधचरितमहाकाव्य टीका चारित्रवर्द्धन P/. कल्याणराज १५११ अ० ६० . ., जिनराजसूरि PP. जिनसिंहसूरि १७वीं अ० भांडारकर पूना विनय ३६० कोटा ६१ पदकविंशतिः सूरचन्द्र
१७वीं अ० ६२ पासदत्त प्रति प्रेषितपत्र रघुपति
१९वीं अ० अभय बीकानेर ६३ 'प्रणम्य' पदम्यार्थः सूरचन्द्र
१७वीं अ० अभय बीकानेर ६५ प्रतापसिंह समुदबद्ध काव्यवचनिका ज्ञानसार P/. रत्नराज १६वीं ६५ प्रद्युम्नलीलाप्रकाश शिवचन्द्रोपाध्याय P/. पुण्यशील १८७६ जयपुर अ० बाल राप्राविप्र चित्तोड़ ३७० ६६ प्रत्येकबुद्ध चरितमहाकाव्य लक्ष्मीतिलकोपाध्या P/. जिनेश्वरसूरि द्वि०१३११ पालणपुर अ० हरिलोहावट हंस बड़ोदा ६७ प्रशस्ति: लब्धिनिधानोपाध्याय P/. जिनकुशलसूरि १४वीं अ० जेसलमेर ६८ प्रेश्नप्रबोधकाव्यालङ्कार स्वोपड़ टोकासह विनयसागर P/. सुमतिकलश १६६७ दिल्ली अ० कांति बड़ोदा-स्वयं लिखित ६६ प्रश्नमय काव्य धर्मवर्द्धन P/. विजयहर्ष १८वीं मु० ७० प्रश्नोत्तरेकषष्टिशतककाव्यम् जिनवल्लभसूरि १२वीं मु० ७१ , अवचूरि कमलमन्दिर P/. जिनगुणप्रभसूरि १६२७ अ० अभय बीकानेर ७२ ., टीका पुण्यसागरोपाध्याय १६४० बीकानेर अ० विनय कोटा ७६० ७३ फलवद्धिपार्श्वनाथ माहात्म्यमहाकाव्य सहजकीत्ति P/. हेमनन्दन १७वीं मु० ७४ मातृकाप्रथमाक्षरदोधक पृथ्वीचन्द्र P/. अभयदेवसूरि रुद्रपल्लीय १३वीं मु० । ७५ मातृकाश्लोकमाला श्रीवल्लभोपाध्याय P/. ज्ञान विमल १६५५ बीकानेर अ० पुण्य अहमदाबाद ७६ मानमनोहर कल्याणचन्द्र P/. कोतिरत्नसूरि १५१२ अ० ७७ मूलराजगुणवर्णनसमुद्रबद्धकाव्य शिवचन्द्रोपाध्याय पुण्यशील १८६१ जेसलमेर भ० बाल चित्तोड़ ३६२ ७८ मेघदूत कालोदासीय) अवचूरि कनककोति P/. जयमन्दिर १७वीं अ० विनय कोटा चारित्र रा० बीकानेर ७६ , विनयचन्द्र P/. सागरचंद्र शाखा १६६४ राडद्रह अ० ८० , टीका क्षेमहंस
अ० विनय कोटा ८०० ८१ , ,, पंजिका' गुणरत्न P/. विनयसमुद्र १७वीं अ० मोहनलाल भंडार सूरत ५२ , चारित्रवर्द्धन P/. कल्याण राज १६वीं मु. विनय ९६०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300