Book Title: Manidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Smruti Granth
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Manidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Samaroh Samiti New Delhi
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। २४ ]
८३ मेघदूत , महिमसिंह (मानकवि) P. शिवनिधानोपाध्याय १६६३ अ० चारित्र राप्राविप्र बीकानेर ८४ , , सुमतिविजय P/. विनयमेरू १८वीं अ. भांडारकरपूना दि० भ० आमेर ८५ , , समयसुन्दरोपाध्याय १७वीं अ० विश्वेश्वरानंद शो० सं० होशियारपुर ८६ मेघदूत प्रथमपद्यस्य त्रयोऽर्थः समयसुन्दरोपाध्याय १७वीं अ० इंग० जेसलमेर अभय बीकानेर ८७ रघुवंश महाकाव्य (कालीदासोय) टीका क्षेमहंस १६वीं अ० राप्रावित्र जोधपुर , ,, सुबोधिनी गुणरत्न P/ विनयसमुद्र १६६७ जोधपुर अ० जेसलमेर भंडार
, गुणविनयोपाध्याय P/. जयसोम १६४६ बीकानेर अ० रा० जो० ब० भ० बी० विन १७३ , ,, शिष्यहितैषिणी चारित्रवर्द्धन P/. कल्याणराज १५०७ मु० विनय ५११
,, जिनसमुद्रसूरि P/, जिनचन्द्रसूरिलघुखरतर १६वीं अ० अभय बीकानेर , , धर्ममेरु P/. चरणधर्म १७वीं ० रा. जो० दि० भ० आं० औं० कॉ ला. , , पुण्यहर्ष P/. ललितकी त्ति (?) १८वीं दिगम्बर जयपुर सूची भाग ४ , , अर्थलापनिका समयसुन्दरोपाध्याय १६६२ खंभात अ० डूंगर जे० स्व० लि. रा. जो० वि० ५१२
, , सुमतिविजय P/. विनयमेरु १६६८ बी० अ० जयकरणफेतपुर अभय बीकानेर ६६ रघुवंशसर्गाधिकारः जयसागरोपाध्याय १५वीं अ तपा भंडार जेसलमेर ६७ रजोष्टकम् . समयसुन्दरोपाध्याय १७वीं मु० १८ राक्षसकाव्य टोका विनयसागर P/. सुमतिकलशपिप्पलक १७वीं उल्लेख-स्वकृत अविदपदशतार्थी ६६ राघवपाण्डवीयकाव्य टोका चारित्रवर्द्धन P/ कल्याणराज १६वीं १०० , , विनयसागर P/, सुमतिकलशपिप्पलक १७वीं उल्लेख-स्वकृत अविदपदशतार्थी १०१ राजगृहप्रशस्तिः भुवनहिताचार्य
१४१२ मु. १०२ रामेअष्टादशार्थाः धर्मवर्द्धन P/. विजयहर्ष १८वीं मु० १०३ विचित्रमालिका (व्रजविलासकासार) रायचन्द्र १९वीं अ० पं० रघुनाथराय बनारस १८३४ लि. १०४ विजयदेवमहात्म्यमहाकाव्य श्रीवल्लभोपाध्याय P/. ज्ञानविमल १७वीं मु. १०५ विज्ञप्तिपत्रम् (महादण्ड कस्तुतिगर्भ) समयसुन्दरोपाध्याय १८वीं मु० १०६ विज्ञप्तित्रिवेणी जयसागरोपाध्याय १४८४ मलिकवा० मु० १०७ विज्ञप्तिपत्र ज्ञानतिलक P/. विजयवर्द्धन १८वों मु० अभय बीकानेर १०८ , १०६ विज्ञप्तिमहालेख-लोकहिताचार्यप्रति मेरुनन्दन P/. जिनोदयसूरि १४३१ पत्तन मु० ११० विज्ञानचन्द्रिका क्षमावल्याणोपाध्याय १८५६ जेस० अ० ख० जयपुर चारित्र राप्राविप्र जोधपुर १११ विद्वत्प्रबोधकाव्यम् श्रीवल्लभोपाध्याय P/. ज्ञान विमल १७वीं मु० अभय बीकानेर विनय ७ ११२ विषमकाव्य-अवचूरि जिनप्रभसूरि P/. जिन सिंहसूरि १४वीं अ. धर्म आगरा
२१ पदानां सं प्रा० अपन्न शभाषायां षट्पदीनां टीका)
अ०
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