Book Title: Manidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Smruti Granth
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Manidhari Jinchandrasuri Ashtam Shatabdi Samaroh Samiti New Delhi

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Page 252
________________ । २५ । ११३ वैराग्यशतकम् धनराज S/. देहड १४६० मंडपदुर्ग मु० पमानन्द S/. धनदेव १२वीं मु० ११५ , सहजकीति P/. हेमनन्दन १७वीं अ० अभय बीकानेर ११६ वैराग्यशतक टीका (प्राकृत) गुणविनयोपाध्याय P/. जयसोम १६४७ मु० ११७ , ज्ञानसागर P/. क्षमालाभ १८वीं अ० केशरिया भंडार जोधपुर ११८ , ,, सर्वार्थसिद्धि मणिमाला जिनसमुद्रसूरि P/. बेगड जिनचन्द्रसूरि १७४० अ० अभय बीकानेर ११६ शतकत्रयभर्तृहरि बालावबोध अभयकुशल १७५५ सिणली अ० यति प्रेमसुन्दर फलौदी १२० , , रामविजयोपाध्याय P/. दयासिंह १७८८ सोजत अ० रा. जो० वि० ७६ बा० चि० १६३-१६५ १२१ शतकत्रयस्तवक (भर्तृ०) लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय P/. लक्ष्मीकीत्ति १८वीं अ० खजांची बीका० पंजाब भं० सूची १२२ शतकत्रय हिन्दी पद्यानुवाद भाषाभूषण विनयलाभ P/. विनयप्रमोद १८वीं १७२७ अ० अभय बीकानेर १२३ शत्रुञ्जयतीर्थोद्धारकल्प महिमसुन्दर P/. साधुकोत्ति १६६६ जे० अ० अभय बी० १२३ शत्रुजयोद्धारलहरी स्वरूपचन्द्र P/. हितप्रमोद २०वीं अ० सुमेरमल भीनासर १२३B शत्रुजयोत्पत्ति सुमतिकल्लोल P. १७वीं अ० विनय २०८ १२४ शान्तिलहरी सूरचन्द्र P/. वीरकलश १७वीं अ० प्रेसकापी-विनय को. आमेट भं० १२५ शिशुपालवधमहाकाव्य टीका चारित्रवर्द्धन P/. कल्याणराज १६वीं म. स्टेट लायन्नेरी १२६ , , धर्मरुचि P/. मुनिप्रभ १७वीं अविनय कोटा १२७ , , 'संदेहध्वान्तदीपिका' ललितकीत्ति १७वीं अ० विनयकोटा राप्राविप्र जोधपुर ६८१ १२८ , (तृतीयसर्ग) समयसुन्दरोपाध्याय १७वीं अ० सुराणा चूरू-स्वयंलिखित १२६ शृङ्गरमण्डन मन्त्रि-मण्डन मु० १३० शृङ्गाररसमाला सूरचन्द्र P/. वीरकलश १६५६ नागोर अ० जयकरण १३१ शृङ्गारवैराग्यतरंगिणी टीका नन्दलाल १८वीं मु० विनय ६८९ १३२ शृङ्गारशतकम् जिनवल्लभसूरि १२वीं अ० विनय 'वल्लभभारती' १३३ , धनराज P/. देहड १४६० मंडपदुर्ग मु० १३४ शृङ्गारादिसंग्रह सोदाहरण श्लोक सूरचन्द्र P/. वीरकलश १७वीं अ० बड़ोदा इंस्टीट्यूट १३५ संघपतिरूपजीवंशप्रशस्तिः श्रीवल्लभोपाध्याय P/. ज्ञानविमल १७वीं मु० संपादक-विनयसागर १३६ सनत्कुमारचक्रिचरित महाकाव्य जिनपालोपाध्याय P/. जिनपतिसूरि १३वीं मु० , १३७ , स्वोपज्ञटीका उल्लेख-गणधरसार्द्धशतक वहवृत्ति १३८ संदेशरासक टीका लक्ष्मीचन्द्र P/. देवेन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय १४६५ मु० १३६ समुद्रबद्धचित्रकाव्य दुर्गादास P/. विनयाणंद १७८० कर्णगिरि अ० बाल चितौड़ १४० संयोगद्वात्रिंशिका मान P/. सुमतिमेरु १७३१ अ० अभय बीकानेर १४१ सम्वत्थशब्दार्थसमुच्चय गुणविनयोपाध्याय P/. जयसोम १७वीं मु० १५वीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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