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क्रियाउद्धार करते हुए साधु हो गये । आगमों आदि का कलावशेषों के खोज एवं अध्ययन में आपकी जबरदस्त विशेष अध्ययन करके आचार्य बने । उनके शिष्य उपा. रुचि थी। मध्यप्रदेश के अनेक गांव नगरों में घूमकर आपने ध्याय सुखसागरजी ने अनेकों ग्रन्थों को प्रकाशित कराया उपरोक्त दोनों ग्रन्थ और बहुत से महत्वपूर्ण लेख लिखे थे।
और अच्छे वक्ता थे। उनके लघुशिष्य स्वर्गीय कान्तिसा- छोटी-छोटी बातों पर भी आप बहुत सूक्ष्मता से ध्यान गरजी हुए। जिनके बड़े गुरुभाई मंगलसागरजी अभी देते थे और थोड़ी सी बात को अपनी प्रतिभा के बल पर पालीताना में हैं।
बहुत विस्तार से और बड़े अच्छे रूप में प्रगट कर सकते थे। ___ जन्मतः वे सौराष्ट्र जामनगर के थे। छोटी अवस्था इतिहास, पुरातत्व और कला में तो आपकी गहरी पेठ थी। में ही जैनेतर कुल में जन्म लेने पर भी उ० सुखसागरजी जबलपुर चौमासे के समय आपने काफी प्राचीन अवशेषों के दीक्षित शिष्य बने । अपनी असाधारण प्रतिभा से थोड़े (मूर्तिखण्डों) को इधर उधर से बड़े प्रयत्न पूर्वक संग्रह किया समय में ही उन्होंने अनेक विषयों में अच्छी गति प्राप्त कर था। जिसे मध्यप्रदेश सरकार ने अधिकार में ले लिया। ली। हिन्दी भाषा पर उनका बहुत अच्छा अधिकार हो राजस्थान में रहते हुए आपने उदयपुर महाराणा के इष्ट गया। संस्कृतनिष्ठ प्राञ्जल भाषामें उनके लिखे हुए प्रन्थ देव-एकलिंगजी पर एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रन्थ तैयार किया एवं लेख विद्वद्-मान्य हुए। 'खण्डहरों का वैभव' और था। आस-पास के नागदा आदि प्राचीन कलाधामों-जैन 'खोज को पगडंडिया' ये दो महत्वपूर्ण ग्रन्थ तो भारतीय मन्दिरों व मूर्तियों पर आपने नया प्रकाश डाला । सैकड़ों ज्ञानपीठ जैसी प्रसिद्ध संस्था से प्रकाशित हुए। उत्तरप्रदेश कलापूर्ण प्राचोन अवशेषों के फोटो लिवाये । खेद है आप सरकार ने इनकी श्रेष्ठता पर पुरस्कार भी घोषित किया। के घोर परिश्रम से तैयार किया हुआ एकलिंग जी वाला विशालभारत, अनेकान्त, भारतीय, साहित्य, नागरी महत्वपूर्ण वृहद् ग्रंथ अभी तक प्रकाश में नहीं आ सका । प्रचारणी पत्रिका आदि हिन्दी की कई प्रसिद्ध और विशिष्ट प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति जिस किसी विषय को हाथ में लेता पत्रिकाओं में आपके महत्वपूर्ण लेख प्रकाशित होते रहे हैं। है उसी में अद्भुत चमत्कार पैदा कर देता है। उदयपुर जिनसे हिन्दी साहित्य में आपका अच्छा स्थान बन गया। रहते हुए कई कारणों से आपको आर्युवेद का अध्ययन व 'ज्ञानोदय' आदि कई पत्रों के तो आप सम्पादकमण्डल में प्रयोग करना आवश्यक हो गया, तब आपने बहुत से भी रहे हैं।
असाध्य रोगियों को रोग मुक्त कर दिया था। आयु ___ वक्तृत्वकला भी आपकी उच्चकोटि की थी साधा- र्वेदिक सम्बन्धी अनुभूत प्रयोगों का एक संग्रह “आयुर्वेदना रणतया बहुत से व्यक्ति अच्छे लेखक तो होते हैं वे उत्कृष्ट अनुभूत प्रयोगो" भाग १ नामक ग्रन्थ आपने गुजराती वक्ता नहीं होते। या वक्ता होते हैं तो अच्छे लेखक नहीं में प्रकाशित किया है। वैसे और भी कई ग्रन्थ आप होते । पर आप दोनों में समान गति रखते थे। अर्थात् प्रकाशित करने वाले थे। पर आयुष्य कर्म ने साथ अच्छ लेखक और प्रभावशाली वक्ता दोनों रूपों में आपने नहीं दिया। 'जैन धातु प्रतिमा लेख, नगर वर्णनात्मक हिन्दी अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त की थी।
पद्य संग्रह आदि आपके और भी ग्रन्थ प्रकाशित है। संगीत पुरातत्त्व और कला के तो आप मर्मज्ञ विद्वान थे। के भी आप अच्छे ज्ञाता थे। बुलन्द आवाज और अच्छा जैनसाधुओं और आचार्यों में तो इन विषयों के आप सर्वोच्च कंठ होने से आप 'अजित शान्ति स्तोत्र' आदि को ताल लय विद्वान माने जा सकते हैं। प्राचीन मन्दिरों, मूर्तियों और बद्ध बड़े अच्छे रूप में गाते थे।
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