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६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श
कालीन राजधानी पाटलिपुत्र के स्थान पर उसकी प्राचीन राजधानी राजगृह का उल्लेख वास्तव में आश्चर्यजनक है। इसमें वैशाली का उल्लेख नहीं है । बुद्धकालीन मल्लराष्ट्र की राजधानी पावा के स्थान पर सम्राट् सम्प्रति के शासनकाल में भंगि राज्य की राजधानी पावा उल्लिखित है । प्रतीत होता है कि बुद्धकालीन शाक्यों की राजधानी कुशीनगर एवं पावा का लोप हो चुका था । उक्त तालिका में अंगदेश की राजधानी चम्पा उल्लिखित है । मोतीचन्द्र' पावा के विषय में संशय की स्थिति में हैं, वे पावा और चम्पा दोनों का अंगदेश की राजधानी के रूप में उल्लेख करते हैं ।
इतना निश्चित है कि मल्लराष्ट्र की राजधानी पावा का उस काल तक कोई अस्तित्व नहीं रह गया था। डॉ० मोहनलाल मेहता के अनुसार 'भंगिदेश पारसनाथ की पहाड़ियों के क्षेत्र में स्थित होना चाहिए जिसकी राजधानी पावा रही है। प्रो० बाजपेयी ने भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने स्वीकार किया है कि उत्तरमौर्यकालीन पावा हजारीबाग जनपद में था । 3
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि प्राचीन काल से ही भारत में पावा का विशिष्ट एवं महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । परिस्थितिवश भले ही पावा समय के प्रवाह में बह गया हो लेकिन इस स्थान की पवित्रता का बोध किसी न किसी रूप में सदैव ही रहा है ।
१. डॉ० मोतीचन्द्र, सार्थवाह, पृ० ७६
२. प्रो० मेहता, मोहनलाल प्राकृत प्रापर नेम्स - भाग १, पृ० ४५१
३. लोकेशन आव पावा, पृ० ५१
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