Book Title: Mahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Author(s): Bhagwati Prasad Khetan
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 212
________________ १९२ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श ग्राम ) बाँसी इत्यादि प्रमुख स्थल स्थित हैं। महावीर, बुद्ध तथा उनके शिष्यों, सम्राटों, राजनीतिज्ञों, व्यापारियों इत्यादि के आवागमन का यही मार्ग था । यह निर्विवाद सत्य है कि सम्राट अशोक ने राज्याभिषेक के २१ वर्ष पश्चात् धार्मिक स्थलियों के दर्शनार्थ इसी मार्ग से यात्रा की थी। अशोक स्तम्भों से अशोक के राज्य-विस्तार की सूचना प्राप्त होती है । उदाहरण-स्वरूप लुम्बिनो के अशोक स्तम्भ से ज्ञात होता. है कि उनकी राज्य सोमा नेपाल के भीतर तक फैली हुई थी। अशोक स्तम्भों के विषय में जान इरविन' का मत महत्त्वपूर्ण है। उनके अनुसार समस्त प्रस्तर स्तम्भों की स्थापना सम्राट अशोक द्वारा नहीं करवायी गई थी अपितु कुछ स्तम्भ उनके पूर्व निर्मित थे। उदाहरणार्थ-रमपुरवा के दो स्तम्भों में एक के शीर्ष भाग पर साँड़ निर्मित है, जो अशोक काल के पूर्व का है। दूसरे के शीर्ष भाग पर सिंह निर्मित है जो अशोक द्वारा स्थापित करवाया गया है। इसी प्रकार श्रावस्ती में एक प्रस्तर स्तम्भ पर साँड़ और दूसरे पर सिंह निर्मित है। इससे स्पष्ट होता है कि अशोक के शासन काल के पूर्व भी उक्त प्रस्तरस्तम्भ मार्ग निर्देशन करते रहे होंगे। अशोक स्तम्भों के शीर्ष भाग पर निर्मित सिंहों की स्थिति से स्पष्ट है कि मार्ग इंगित करने में ये सहायक रहे हैं, उदाहरण स्वरूप कोल्हुआ एवं लौरिया नन्दनगढ़ के अशोक स्तम्भ पर निर्मित सिंह उत्तराभिमुख है। अशोक स्तम्भ मौर्यकालीन वस्तुकला एवं शिल्पकला के ज्वलंत प्रमाण हैं । सम्राट अशोक द्वारा अंकित धर्मोपदेश, राजाज्ञायें एवं ऐतिहासिक तथ्य आज भी उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं जितने उस काल में । निश्चित ही अशोक-स्तम्भ मार्ग-निर्देशन का कार्य करते हैं और आधुनिक युग में भी सही अर्थों में मील के पत्थर हैं और भविष्य में भी इनका उतना ही महत्त्व रहेगा तथा ये आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरणा देते रहेंगे। _ रमपुरवा परसा ग्राम बिहार राज्य के पश्चिमी चम्पारण जिलान्तर्गत बेतिया से ३२.५ मोल उत्तर, लौरियानन्दनगढ़ टीले से २९.५ मील उत्तरपूर्व, सोमेश्वर पहाड़ी की तराई से चार मील दक्षिण, गंडक से ३६ मील पूर्व, २७° १५' ४५' उत्तरी अक्षांश तथा ८४° ३४ पूर्वी देशान्तर पर स्थित है । रमपुरवा-परसामें दो अशोक स्तम्भ निर्मित हैं। पुरातात्त्विक १. अशोकन पिलर्स, विलिंग्टन मैगजीन, पृ० ७१०-७१८ २. वही, पृ० ७१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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