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५२ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श
धर्मों को राज्य संरक्षण प्राप्त होने के कारण चातुर्मास एवं वर्षावास सामान्यतया उन नगरों में किया जाता था जहाँ आवागमन के समुचित साधन उपलब्ध रहते थे, आवास भोजन आदि की पर्याप्त व्यवस्था होती थी । चातुर्मास एवं वर्षावास से जैन एवं बौद्ध श्रमणों को धर्म प्रचारप्रसार का सुयोग्य अवसर प्राप्त होता था ।
कैवल्य प्राप्ति के पश्चात् महावीर के चातुर्मासों' के तथा बुद्ध के सम्बोधि प्राप्ति के पश्चात् बुद्ध के वर्षावासों की क्रमानुसार तालिका निम्नलिखित है
महावीर
१. राजगृह २. वैशाली
३. वाणिज्य ग्राम
४. राजगृह
५. वाणिज्य ग्राम
६. राजगृह
७. राजगृह ८. वैशाली
९. वैशाली
१०. राजगृह
११. वाणिज्य ग्राम
१२. राजगृह
१३. राजगृह
१४. श्रेणिक की मृत्यु कोणिक का राज्यारोपण - चम्पा की राजधानी मिथिला
चातुर्मास ।
बुद्ध
१. ऋषिपत्तन मृगदाव ( सारनाथ )
ら
२. राजगृह महावीर के साथ की दिव्यशक्ति की घटना
३. राजगृह
४. राजगृह अज्ञातशत्रु का बुद्ध से मिलन ( श्रमण- फल पूछना )
५. वैशाली
६. मंकुल पर्वत
७. त्रास्त्रिश
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८. सुंसुमारगिरि ९. कोशाम्बी
१०. परिलेय्यक वन
११. नाला ब्राह्मण ग्राम १२. वेरंजा
१३. चालिय पर्वत
१४. श्रावस्ती १५. कपिलवस्तु
१. शास्त्री, नेमिनाथ, तीर्थंकर महावीर और उनकी देशना, पृ० १६०, अ० भा० दि० जैन, वि० कार्यालय, वर्णीभवन, सागर, म० प्र० १९७४ ।
२. ( अ ) चुल्लवाग -सं० भिक्षु काश्यप, जगदीश ५, पालिमुद्रण परिषद, बिहार सरकार, नवनालन्दा महाविहार, प० नालन्दा, पटना, १९५६ ( ब ) धम्मपद अट्टकथा, सं० डा० टाटिया, नथमल, ४-२, पटना, १९७३ ।
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