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१०० : महावीर निर्वागभूमि पावा : एक विमर्श काल में सरोवर विद्यमान थे। दिगम्बर ग्रन्थ निर्वाणभक्ति के अनुसार पावा अनेक सरोवरों से एवं ऊँचे स्थलों से घिरा हुआ था। उक्त टीले के पश्चिम में आज भी एक सरोवर विद्यमान है। अन्य सरोवर काल के गर्त में चले गये। ___ अब हम पड़रौना के पावा होने की सम्भावना प्रकट करने वाले भौगोलिक विवरणों एवं सर्वेक्षण से प्राप्त तथ्यों की समीक्षा करेंगे
दिगम्बर ग्रन्थ 'निर्वाण भक्ति'२ में पावा का पद्मवन के रूप में उल्लेख है। महावीर, निर्वाण से पूर्व पावा नगर में पद्मवन से सुशोभित उद्यान में कायोत्सर्ग हेतु ध्यानारूढ़ हुए थे। बाद में पावापुर नगर के बाहर उन्नत भूमि-खण्ड पर कमलों से सुशोभित सरोवर के मध्य निष्पाप वर्धमान द्वारा निर्वाण प्राप्त करने का उल्लेख है। अतः पद्मवन, पावा और पडरौना एक ही है। कनिंघम का भी यही मत है कि पद्मवन, पदरवन, पदरमन और पवन इत्यादि का क्रमिक विकास ही वर्तमान में पड़रौना है।
कुछ विद्वानों ने सर्वेक्षण के समय प्रचलित पड़रौना के नामों का उल्लेख अपनी रिपोर्ट में दिया है, यह विवरण इस प्रकार है :
बुकनन ( १८१४ ई० ) की रिपोर्ट के अनुसार उस समय इसे परोना या परौना ( Parrona ) या ( Parrauna ) सम्बोधित किया जाता था। कनिंघम के सर्वेक्षण काल (१८६२ ई० ) में पड़रौना ( Padrona) कार्लाइल' के सर्वेक्षण (१८७६-७७ ) में इसे पड़रौना या परौना ( Pad१. पद्मवन दीपिकाकुल विविध द्रुम खण्ड मण्डिते रम्ये ।
पावा नगरीधाने व्युत्सर्गेण स्थितः स मुनिः ।। १६ ॥
तीर्थवन्दन संग्रह, पृ० ५, जैन संस्कृति संरक्षक संघ सोलापुर, प्र० सं० १९६५ २. श्लोक सं० १६ एवं
पावापुरस्य वहिरन्नत भूमिदेशे पद्मोप्तलाकुलवंता सरसां हिममध्ये । श्री वर्धमानजिनदेव इति प्रतीतो निर्वाणमाप भगवान प्रविधूतपाप्मा ॥२४॥
वही, पृ०५ ३. माण्टगोमरी मार्टिन, एम० आर० हिस्ट्री एण्टीक्विटीज टोपोग्राफी एण्ड
स्टेटिक्स आव ईस्टर्न इण्डिया, खण्ड १, पृ० ३५४, द्वि० सं०, १९७६ ४. कनिंघम ए०, ऐश्येण्ट ज्याग्रफी आव इण्डिया, पृ० ३६६ ५. कनिंघम, ए०, आर्कियोलाजिकल सर्वे आव इण्डिया रिपोर्ट, खण्ड २२,
पृ० २९-३०
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