Book Title: Mahavira Nirvan Bhumi Pava Ek Vimarsh
Author(s): Bhagwati Prasad Khetan
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 145
________________ पावा-पड़रौना अनुशीलन : १२५ 1. य० पी० डी० पाषाण प्रतिमा ओ० ए०-८१ सम्भवतः किसी नारी की खण्डित ३८४२८ प्रतिमा है, जिसके शीर्ष व ग्रीवा पूर्ण- सेमी० तया खण्डित हैं, बायें हाथ का कुछ भाग व जंघे के नीचे का समस्त भाग खण्डित है। प्रतिमा काफी घिसी होने के कारण अस्पष्ट है। (चित्र सं० ७) प्रो० कृष्णदत्त बाजपेयी' ने पड़रौना के प्राचीन टोले तथा इसके समीपवर्ती क्षेत्रों का सूक्ष्मता से निरोक्षण एवं अध्ययन कर विचार व्यक्त किया है कि यहाँ से प्राप्त पौराणिक मूर्तियाँ ( जैसे-शिव, कुबेर आदि की ) ६५० ई०-११०० ई० के मध्य निर्मित हुई हैं। पड़रौना-तमकूही मार्ग पर पड़रौना से तीन कि०मी० की दूरी पर एक उपमार्ग दक्षिण दिशा में निकलता है, जो छावनी से छावनी-कुबेर स्थान वाले मार्ग में ३ कि०मी० पर गुलेलहा मल्लिक पट्टी के निकट मिलता है। यह उपमार्ग २ कि०मी० का है। इस मार्ग पर गुलेलहा, मलिकपट्टी से १ कि०मी० उत्तर में सिधुवाँ देवलही ग्राम स्थित है, जिसके निकट एक तालाब है। इस तालाब के निकट उक्त मार्ग के मध्य १९५४ में पत्थर का नोक निकला हुआ था, जिससे बैलगाड़ी तथा अन्य वाहनों के आवागमन में असुविधा होती थी, इस कारण ग्रामवासियों ने उक्त प्रस्तर नोक को निकालने हेतु खुदाई की तो वहाँ पर खण्डित युगल-चरण सहित पीठासन प्राप्त हुआ एवं अन्य कलाकृतियाँ भी प्राप्त हुईं, जो राजकीय संग्रहालय, लखनऊ में सुरक्षित हैं, जिसका विवरण निम्नलिखित है Padrauna Deoria 1955 285 A Buffer Sand-stone 1955 288 BI Red-Sand-stone 1955 284 Small fragment of a colossal Yaksha image, Sunga Period. 1955 228 Pedestal of a Colossal Yaksha image conta ining the feet of a Yaksha and the tenon supporting the whole image. The feet-wear १. प्रो. बाजपेयी, कृष्णदत्त, लोकेशन ऑव पावा, पुरातत्त्व, पृ० ५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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