________________
७६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श
भाण्ड ( एन० वी० वी० ) तथा धरातल से कुछ काले-लाल भाण्ड ( ब्लैक एण्ड रेड ठीकरें ) भी मिले थे ।
यहाँ से प्राप्त ईंटों की माप - ४२ सेमी ० x २६ से० मी० x ६ से० मी० है ।
अतः यह कहा जा सकता है कि सठियांव प्राचीन श्रेष्ठिग्राम है और फाजिलनगर सठियांव क्षेत्र का निर्माण मौर्यकाल एवं गुप्तकाल में आरम्भ हुआ था । इसके पहले कोई अस्तित्व नहीं था । इन रिपोर्टों से यह स्पष्ट रूप से विदित होता है कि श्रेष्ठिग्राम का पावा
से
कोई सम्बन्ध नहीं है ।
जहाँ तक सठियांव - फाजिलनगर की पावा के रूप में पहचान का प्रश्न है, विद्वान् अनिश्चय की स्थिति में रहे हैं । 'ए हिस्टारिकल एटलस आफ साउथ एशिया" में सठियांव - फाजिलनगर के निकट पावा अंकित है । इस नगर के पावा होने पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया है
सिंहली बौद्ध ग्रन्थ दीपवंस एवं महावंस में पावा की स्थिति कुशीनगर से मही (गंडक नदी की ओर ( तीन गव्यूति ) १२ मील बताई गई है। फाजिलनगर सठियांव कुशीनगर से १० मील पूर्व-दक्षिण में स्थित है। मही (गंडक ) नदी से सठियांव - फाजिलनगर का न सम्बन्ध रहा है और न है ।
इस प्रकार पुरातात्त्विक साक्ष्य एवं बौद्धसाहित्य के उल्लेख सठियांव फाजिलनगर को पावा मानने के पक्ष में नहीं हैं । अतः सठियांव - फाजिलनगर की पहचान पावा के रूप में करना उचित नहीं है । पावापुरी : नालन्दा
दक्षिण बिहार के नालन्दा जनपद में मुख्यालय से लगभग ७ मील दक्षिण-पश्चिम में पावापुरी स्थित है । पावापुरी परस्पर १.५ - २ मील दूरी पर स्थित पावा तथा पुरी नाम के पृथक् ग्राम हैं। पावापुरी पटना- राँची मार्ग पर पटना से ५ मील दूर तथा २५°५ अक्षांश एवं ८५° ३२' देशान्तर पर स्थित है । यहाँ से बिहार शरीफ ( उड्डयनपुरी ) ७ मील की दूरी पर दक्षिण दिशा में है । गिरियक की पहाड़ी से यह लगभग ३ मोल उत्तर को दिशा में बसी हुई है । राजगृह से पगडण्डी
3. सम्पा० पाल, विटले – ए हिस्टारिकल एटलस आव साउथ एशिया, यूनि - वर्सिटी आव शिकागो प्रेस, शिकागो एण्ड लंदन, १९७८ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org