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३६ : महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श
भौगोलिक स्थिति
लिए इसके समीप -
मगध और वज्जि
मल्लराष्ट्र की भौगोलिक स्थिति स्पष्ट करने के वर्ती राज्यों क्रमशः कोशल, शाक्य, कोलिय, मोरिय, संघ की सीमाओं एवं स्थितियों का बुद्धकालीन भूगोल के आधार पर अध्ययन करेंगे
कोशल राज्य
कोशल राज्य का विस्तार पालि विवरणों में ३०० योजन बताया गया है । बुद्धकाल में कोसल देश उत्तर में हिमालय पर्यन्त, पूर्व में अचिरावती (राप्ती) दक्षिण में सई ( सुन्दरिका ) या (अधिक से अधिक गंगा नदी तक) और पश्चिम में गोमती नदी तक फैला हुआ था । इसको राजधानी श्रावस्ती (सावत्थि ) थी ।
शाक्य देश - यह वर्तमान उत्तरप्रदेश के उत्तरपूर्व में नेपाल की सीमा से होता हुआ बहराइच और गोरखपुर के मध्य फैला हुआ था । इसके उत्तर में हिमालय पर्वत, पूर्व में रोहिणी नदी, दक्षिण या दक्षिण-पूर्व में मल्लों का गणतन्त्र तथा पश्चिम में कोसल देश स्थित था । इसकी राजधानी कपिलवस्तु (कपिलवत्थु ) थी ।
कोलिय राज्य
यह राज्य रोहिणी के पूर्व, दक्षिणी घाटी में रोहिणी तथा अचिरावतो (राप्ती) के संगम के आगे राप्ती के दक्षिण में स्थित था । इसके उत्तरपश्चिम में शाक्य राज्य, दक्षिण-पूर्व में मोरिय, उत्तर पूर्व में मल्लराष्ट्र स्थित था । इसकी राजधानी रामग्राम थी जिसके अन्तर्गत गोरखपुर जनपद के सदर तहसील का दक्षिणी भाग तथा बाँसगाँव तहसील का पश्चिमी भाग सम्मिलित था ।
मोरिय राज्य
इसके उत्तर, उत्तर-पूर्व में मल्लराष्ट्र, उत्तर-पश्चिम में कोलिय राज्य तथा दक्षिण में मगधराज्य स्थित थे । राप्ती एवं सरयू नदियाँ इसकी सीमा बनाती थीं । इसका आकार अन्य राज्यों की अपेक्षा छोटा था, इसकी राजधानी पिप्पलोवन थी । यह राज्य गोरखपुर जनपद का
१. विनयपिटक (हिन्दी) पं० राहुल सांकृत्यायन, पृ० १९९-२००, महाबोधि
सभा, सारनाथ ।
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