Book Title: Mahavir Charitram
Author(s): Gunchandra
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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वणसइपवणानलसलिलपुढविजाईसु विविहभेयासु । कालमसंखं वसिउं अकालमरणेण सो मरिही ॥ ११ ॥
इय उम्भडनियदुचरियजलणजालाकलावसंतत्तो। तं किंपि नस्थि दुक्खं जं पाविस्सइ न स वरागो ॥१२॥ | ___ एवं च अणेगभवुम्मजणनिमजणाई काऊण कहकहवि समासाइयथेवकम्मविवरो सो गोसालगजीवो रायगिहे हैं नयरे बाहिं वेसित्थित्ताए उववजिही, तत्थवि चिरभवसाहुवहसमुत्थनिकाइयकम्माणुवत्तणवसेण रयणीए पसुत्ता। चेव एगेण विडपुरिसेण आभरणलिच्छुणा निसियखग्गधेणुनिद्दयनिहारियउदरा मरिऊण पुणोऽवि रायगिहस्संतो वेसित्थियत्ताए उववजिऊण विवजिही । तओ जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विंझगिरिपायमूले विभेलए सन्निवेसे माहणकुले दारियत्ताए पञ्चायाही, तं च कालक्कमेण उम्मुक्कबालभावं अम्मापियरो समुचियस्स एगस्स माहणपुत्तस्स य भारियत्ताए पणामइस्संति, अन्नया य सा गुन्विणी ससुरकुलाओ पियहरं निजमाणी अंतरा समुच्छलियपबलदावानलजालाकलावकवलिया कालं काऊण अग्गिकुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववजिही, तत्तो य चविऊण माणुसत्तणेण समुप्पन्नो समाणो तहाविहसुगुरुदंसणसमुवलद्धसवन्नुधम्मबोहो भववेरग्गमुबहतो पवजं पडिवजिही, कहिवि पमायवसेण विराहियसामण्णो य असुरकुमारेसु देवेसु उववजिही, एवं कइवयभवगहणाई पुणो पुणो विराहियसामन्नो असई भवणवासिदेवेसु जोइसिएसु य सुरसंपयं समणुभविऊण पुणो समुवलद्धमाणुसत्तो अइयारकलंकपरिहीणं पवजं समायरिऊण सोहम्मे देवलोए देवो होही, एवं सत्त भवे जाव निकलंक सामण्णमणुपालिऊण
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