Book Title: Mahavir Charitram
Author(s): Gunchandra
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
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महावीरच
श्रीगुणचंद माहप्पेण य जलोयरं से पसंतंति, जाओ पुणन्नवंगो, जयइ जिणिंदस्स धम्मसामत्थं, इय सवत्थ पवाओ वित्था- भोगौपभोरिओ नयरलोएण
गमाने रवि८ प्रस्तावः
पालककथा | सो य पालगो तन्नयरसामिणा भणिओ जहा ममामचत्तणं पडिवजसु, पालगेण भणियं-देव! मए खरकम्माणं ॥३१८॥ वलाहियत्तारक्खिगत्तपमुहाणं नियमो कओ, राइणा भणियं-किं कारणं ?, तेण कहियं-देव! न जुत्तमेयं सावगाणं,
जओ तत्थ निउत्तेहिं जणो पीडियचो, परच्छिद्दनिहालणं कायचं, नरिंदचित्तावजणपरेहिं सवप्पयारेण दवमुप्पाय|णिजं, तं च न जुत्तं पडिवन्नवयाणंति, रन्ना भणियं-दुट्ठाण सिक्खणे साहूण पालणे किमजुत्तं ?, पालयेण जंपियं
देव ! को एवं मुणइ-एस दुट्ठो एसो साहुत्ति,जओ अवराहस्स कारीवि अत्तणो साहुत्तणमेव पगासेइ, न य अपडिवन्न-18 सदोसो विणासिउं पारियइ, कयाइ पिसुणोवणीओ साहू वि परिहम्मइ, तम्हा अइसयनाणसज्झं दुट्ठनिग्गहसिट्ठपालणं,
अणइसइणा कीरंतं विवज्जासंपि जाएजा, एवं च भणिए पयंडसासणतणओ रुट्टो राया भणिउमाढत्तो य-अरे वंभणाहम ! वेयपुराणपइट्ठियं बंभणत्तं परिहरिय धस्मंतरं कुणमाणो मूलाओ चिय निग्गहट्ठाणं तुमं विसेसओ इयाणिं ममाऽऽणालोवपयहो, ता न भवसि संपयंति भणिऊण आणत्तो वज्झो, नीओ मसाणभूमीए, समारोविउ-16॥३१८ ।। मारद्धो सूलाए, एत्यंतरे तप्पएसोवगएण दिट्ठो वाणमंतरेण, दढधम्मोति जायाणुकंपेणं तेण सूलाठाणे कयं कणयसिंहासणं, तेहि य रायपुरिसेहिं पहओ खग्गपहारेहि, देवप्पभावेण य पहारट्ठाणेसु समुट्ठियाणि गेवेयपमुहाणि
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